अलक़ायदा चीफ़ की पत्नी ने मानवाधिकार की जंग जीती !

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यूरोपीयन जजों ने फ़ैसला दिया है कि ब्रिटिश एयरपोर्ट पुलिस की ओर से अलक़ायदा प्रमुख की पत्नी के साथ मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है।

डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार 49 वर्षीय सेल्वी बेग़ल को ईस्ट मिडलैंड्स हवाई अड्डे पर उस समय रोका गया जब वह लीस्टर से फ़्रांसीसी जेल में बंद अपने पति दजामील बेग़ल से मिलकर वापस आ रही थीं। 3 बच्चों की मां सेल्वी का कहना था कि उन्हें बिना किसी तर्कसंगत वजह के हिरासत में लिया गया और उनकी निजी जीवन और घरेलू अधिकारों का उल्लंघन किया गया।

उनके इस दावे को हाईकोर्ट और सुप्रिम कोर्ट की ओर से रद्द कर दिया गया किन्तु मानवाधिकारों की यूरोपीय अदालत ने आख़िरकार उनके पक्ष में फ़ैसला दिया।

गृहमंत्रालय की ओर से कहा गया कि इस फ़ैसले से उन्हें निराशा हुई किन्तु उनके पास इसे चैलेंज करने के लिए तीन महीने का समय है। ज्ञात रहे कि 2011 में एयरपोर्ट घटना में अधिकारियों की मदद करने में विफलता के आरोप में सेल्वी बेग़ल को आतंकवाद एक्ट-2000 की धारा 7 के अंतर्गत अपराधी क़रार दिया था।

इस हवाले से 2001 से 2011 तक आतंकवाद के क़ानूनों की स्वतंत्र समीक्षा करने वाले लार्ड चार्ली का कहना था कि धारा 7 ब्रिटेन में जनता की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। अधिकारियों का कहना है कि वह अलक़ायदा चीफ़ की पत्नी से बात करना चाहते थे कि क्या उनका नाम किसी आतंकवादी कार्यवाही में तो नहीं, किन्तु उन्होंने उस समय तक किसी भी सवाला का जवाब नहीं दिया जब तक उनका वकील नहीं आ गया और 30 मिनट बाद उन्हें बताया गया कि वह जा सकती हैं किन्तु बाद में धारा-7 के अंतर्गत उन्हें चार्ज दिया गया और 2011 दिसम्बर में लीस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में वह मुजरिम क़रार पाईं।