असम सरकार ने राज्य में सरकार द्वारा संचालित सभी मदरसों और संस्कृत टोलों (स्कूलों) को बंद करने का फैसला किया है। राज्य में चल रहे धार्मिक स्कूलों को कुछ महीनों के भीतर हाई स्कूलों और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में बदल दिया जाएगा।
असम के शिक्षा मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि हमने सभी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को हाई स्कूलों और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में बदलने का फैसला किया है, क्योंकि राज्य धार्मिक संस्थानों को फंड नहीं दे सकते। हालांकि, गैर सरकारी संगठनों / सामाजिक संगठनों द्वारा संचालित मदरसे जारी रहेंगे, लेकिन एक नियामक ढांचे के भीतर।
हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि धार्मिक उद्देश्यों के लिए धर्म, धार्मिक शास्त्र, अरबी और अन्य भाषाओं की पढ़ाई कराना सरकार का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई गैर सरकारी संगठन या सामाजिक संगठन अपने पैसे खर्च करके धर्म की पढ़ाई कराता है तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन उसे भी एक नियामक ढांचे के अंदर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मदरसों में अगर कुरान को पढ़ाने के लिए राज्य के धन का उपयोग किया जाता है, तो हमें गीता, बाइबिल भी सिखाना होगा।
HB Sarma, Assam Minister: We have decided to convert all Madrasas and Sanskrit tols(schools) to high schools and higher secondary schools, as the state can't fund religious institutions. However, Madrasas run by NGOs/Social orgs will continue but within a regulatory framework pic.twitter.com/c3DKQzEMfu
— ANI (@ANI) February 13, 2020
मंत्री ने साफ कर दिया कि केवल सरकार द्वारा संचालित धार्मिक स्कूलों को बंद किया जा रहा है। मदरसों और संस्कृत टोलों में काम करने वाले शिक्षकों की नौकरी नहीं जाएगी। इन शिक्षकों को घर बैठे ही सेवानिवृत्त होने तक वेतन मिलेगा। अन्य विषयों के शिक्षक परिवर्तित सामान्य स्कूलों में अपने विषय पढ़ाना जारी रखेंगे।
बता दें कि असम सरकार के मदरसा शिक्षा बोर्ड के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा संचालित कुल 612 मदरसे हैं। इन मदरसों में इस्लामिक शिक्षा देने के साथ-साथ अन्य विषयों की भी पढ़ाई होती है। मदरसा के साथ-साथ सरकार ने सरकारी अनुदान पर चलने वाले 101 संस्कृत विद्यालयों को भी बंद करने का फैसला किया है। इन संस्कृत विद्यालयों में वैदिक शिक्षा के साथ-साथ अन्य विषयों की भी पढ़ाई होती है।