आखिर नहीं हुआ गठबंधन मगर उम्मीद अभी बाकी है

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आखिर नहीं हुआ गठबंधन मगर उम्मीद अभी बाकी है क्योंकि दोनों दलों के कई नेता मानते हैं कि नामवापसी की आखिरी तारीख 26 अप्रैल तक कुछ भी संभव है हालांकि ये दल एक दूसरे पर समय बर्बाद करने के आरोप लगा रहें हैं।

दिल्ली के तीन दलों के सात सात उम्मीदवारों ने सातों सीटों पर पर्चे भर दिये हैं। सबसे नयी पार्टी ने इस बार किसी पुराने प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया। भगवा पार्टी के उम्मीदवारों में दो सिंगर और एक क्रिकेटर है । देश की सबसे पुरानी पार्टी ने एक विश्व प्रसिद्ध बॉक्सर को चुनाव मैदान में उतारा है।

इस पार्टी के तीन प्रत्याशी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ भी हो इस बार पार्टी ने उम्मीदवारों का चयन सोच समझ करके खुद को दमदार दिखाने की कोशिश की है। उत्तर पश्चिम सीट भगवा और सबसे पुरानी पार्टी के लिये सिर दर्द बनी है।

भगवा पार्टी ने अपने दो सिटिंग मेंबर को टिकट नहीं दिया , इनमें से एक उत्तर पश्चिम सीट के सिटिंग मेंबर उदित राज बुरी तरह नाराज हैं। उन्होंने अपने नाम के आगे से चौकीदार हटा कर फिर से डाक्टर जोड़ दिया है। उनकी नाराजगी के असर का अभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।

इसी सीट से सबसे पुरानी पार्टी ने जिस पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान का नाम पहले सार्वजनिक किया था उन्हें टिकट नहीं दी गयी और वह भी नाराज हैं। अब उनकी नाराजगी कहां तक जायेगी, अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन वह पार्टी से तो अलग नहीं होंगे।

अगर गठबंधन नहीं हुआ तो सातों सीटों पर तीनों पार्टियों के बीच तिकोना मुकाबला होगा और गठबंधन हुआ तो चार सीटों पर तिकोना मुकाबला हो सकता है। इस चुनाव में कई सीटों पर जोरदार मुकाबला होता दिख रहा है। शायद चुनाव में सारी सीटें एक पार्टी को नहीं मिलें। सलेब्रिटी प्रत्याशियों के असर की भी पोल खुलने वाली है।

सबसे नयी पार्टी ने सबसे पहले सारे प्रत्याशी घोषित किये, उसे इसका फायदा मिलेगा यह तो समय बतायेगा। यह पार्टी पूर्ण राज्य के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है तो सबसे पुरानी पार्टी, केन्द्र सरकार के मुखिया को निशाना बना कर चोर चोर का शोर मचा रही है मगर भगवा पार्टी राष्ट्रवाद और सुरक्षा पर बात करती है लेकिन अपनी सरकार की उपलब्धियां अधिक मुखर नहीं करती।