आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई में मौलाना महमूद मदनी ने अहम भूमिका निभाई है!

   

जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव रहते हुए मौलाना महमूद मदनी ने कई ऐसे प्रयास किए, जिनसे उनकी सराहना हुई। दारुल उलूम देवबंद से आतंकवाद के खिलाफ फतवा लेना और स्काउट गाइड की तरह जमीयत से जुड़े युवाओं और मुस्लिमों को आत्मरक्षार्थ प्रशिक्षण शुरू कराना भी काफी सुर्खियों में रहा था।

यही वजह है कि मौलाना महमूद मदनी द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद तमाम पुराने कार्य भी लोगों को याद आ रहे हैं। पूर्व में जब देश में आतंकी हमलों की घटनाएं बढ़ गई थीं और आतंकी हमलों को लेकर मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों के नाम सामने आने पर बड़ा विवाद बना था।

तब 2008-09 में मौलाना महमूद मदनी ने आतंकवाद के खिलाफ दारुल उलूम से फतवा लिया था। इतना ही नहीं आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने बड़ी मुहिम चलाते हुए देशभर के 40 शहरों में आतंकवाद विरोधी सम्मेलन कराए थे, जिसमें देवबंद में हुआ सम्मेलन सबसे बड़ा था।
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इसके अलावा मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत से जुड़े युवाओं और मुस्लिमों को आत्मरक्षार्थ प्रशिक्षण दिलाने की प्रक्रिया शुरू कराई थी। स्काउट गाइड की तरह कार्यक्रम कराए गए थे। इसको लेकर भी खूब चर्चाएं हुई थीं, क्योंकि जिस तरह से आरएसएस की शाखाओं में युवाओं को आत्मरक्षार्थ प्रशिक्षण दिया जाता है, मौलाना महमूद मदनी का कदम भी वैसा ही माना गया था।

वहीं, गैर राजनीतिक संगठन जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ ही मौलाना महमूद मदनी ने राजनीतिक रूप से भी जुड़ाव रखा। क्योंकि वह पूर्व में रालोद प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा सदस्य भी चुने गए थे।

साभार- ‘अमर उजाला’