आरएसएस ने पश्चिमी विकास मॉडल से भारत को बाहर निकलने का दिया सुझाव (आईएएनएस स्पेशल)

   

नई दिल्ली, 17 अगस्त(आईएएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय संघचालक और आर्थिक विचारक डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने पश्चिमी विकास मॉडल से भारत को बाहर निकलने की जरूरत बताई है। कहा है कि इस मॉडल ने दुनिया को जॉबलेस यानी रोजगार विहीन विकास के सिवा कुछ नहीं दिया। भारत को पूंजीवादी और साम्यवादी से इतर तीसरे विकास मॉडल को अपनाने की जरूरत है, जो भारतीय परिवेश के अनुकूल हो। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और विचारक डॉ. बजरंग लाल गुप्त का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम में तीसरे विकास मॉडल की जरूरत बता चुके हैं।

संघ के सहयोगी संगठन भारतीय मजदूर संघ के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ आर्थिक विषयों पर चर्चा के दौरान डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने भारतीय विकास मॉडल को लेकर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि, पश्चिमी मॉडल बार-बार फेल हुआ, फिर भी नए संस्करणों के रूप में उभरता रहा और भारत उसकी नकल करता रहा। त्रासदी है कि यह मॉडल बार-बार फेल होने के बावजूद दुनिया के लोग नकल करते रहे।

आर्थिक विचारक बजरंग लाल गुप्त के मुताबिक, दुनिया में इसी पश्चिमी मॉडल की वजह से ही आर्थिक मंदी आई। चाहे 1929-1932 का चार साल का कालखंड देखें या फिर 2008 की वैश्विक मंदी। इसके पीछे पश्चिमी विकास मॉडल ही रहा। मौजूदा समय कोरोना काल में भी इस मॉडल की असफलता दिखी है।

उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी ने बहुत पहले ही कह दिया था कि रशियन मॉडल भी ढहने वाला है। बाद में पूरी दुनिया ने इस मॉडल को खत्म होते देखा। उन्होंने कहा था कि पूंजीवादी मॉडल भी लंबे समय तक नहीं चलने वाला है। 2008 में आई ग्लोबल मंदी के दौरान अमेरिका में एक ही दिन में 40 बड़े बैंक धराशायी हो गए। बावजूद इसके हम इस मॉडल को ढोते रहे। दत्तोपंत ठेंगड़ी सहित तमाम विचारकों ने बहुत समय पहले ही तीसरी विकल्प तलाश करने का दुनिया को सुझाव दिया था।

आरएसएस के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने कहा, हमें वेस्टर्न मॉडल की मृग मरीचिका से बाहर आना होगा। 1996 की ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट स्वीकार करती है कि इस विकास के मॉडल ने दुनिया को सिर्फ रोजगार विहीन (जॉबलेस) विकास दिया। ग्रोथ हुई लेकिन रोजगार नहीं बढ़ा। यह जड़हीन और भविष्यहीन विकास है। इस नाते भारत को अपने मूल्यों के अनुरूप स्वदेशी मॉडल की जरूरत है, जो चंद लोगों को नहीं सबको सुख देने वाला हो।

–आईएएनएस

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