पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है टिकटॉक, जल्द लगेगा बैन !

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मद्रास हाईकोर्ट के अनुसार देश में तेजी से लोकप्रिय होता ऐप टिकटॉक युवा वर्ग और बच्चों के दिमाग को प्रदूषित कर रहा है और इससे खासकर किशोरों के यौन शिकारियों के चंगुल में फंसने का खतरा है।

इस ऐप को भारत में अब तक 10 करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं और कम से कम पांच करोड़ से ज्यादा लोग सक्रिय रूप से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। पूरी दुनिया में इसे डाउनलोड करने वालों का आंकड़ा पचास करोड़ से ज्यादा है।

न्यायमूर्ति एन किरूबाकरन और न्यायमूर्ति एसएस सुंदर की खंडपीठ ने सरकार से इस पर पूरी तरह पाबंदी लगाने को कहा है ताकि कोई भी भारतीय इसे न तो डाउनलोड कर सके और न ही इसका इस्तेमाल कर सके।

बीते साल आम लोगों के हस्ताक्षर अभियान चलाने के बाद इंडोशेनिया सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी थी। बाद में कंपनी ने जब आपत्तिजनक सामग्री हटाने का भरोसा दिया, तो पाबंदी में ढील दी गई।

अमेरिका में भी इसकी खासी आलोचना होती रही है। टिक-टॉक पर पाबंदी की मांग में दायर अपनी जनहित याचिका में मदुरै के वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता मुथु कुमार ने हाईकोर्ट से अश्लील साहित्य, सांस्कृतिक गिरावट, बच्चों के शोषण और आत्महत्याओं का हवाला देते हुए इस पर पाबंदी लगाने की अपील की थी।

टिकटॉक ऐप उपभोक्ताओं को गानों, कॉमेडी सीन और फिल्मों के डायलाग के आधार पर अपनी आवाज के साथ पंद्रह सेकेंड तक के छोटे वीडियो बनाकर उनको शेयर करने की सहूलियत देता है।

इतना ही नहीं, उपभोक्ता इसकी सहायता से इसमें लिप-सिंक से लेकर लोकप्रिय गानों और म्यूजिक पर डांस भी करते हैं। भारत में हाल के महीनों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है।

चीनी कंपनी कंपनी बाइटडांस के बनाए इस ऐप के लॉन्च होते ही पूरी दुनिया में इसके प्रति दीवानगी तेजी से बढ़ी और भारत भी इसका अपवाद नहीं था। यहां खासकर युवा उपभोक्ताओं में अपने वीडियो बना कर शेयर करने की प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ी है।

दिलचस्प बात यह है कि इस ऐप का इस्तेमाल करने वालों में ग्रामीण इलाकों व छोटे शहरों में रहने वालों की भी खासी तादाद है। इसकी दीवानगी छोटे बच्चों तक के सिर चढ़कर बोल रही है।