इजरायली खिलाड़ियों का विरोध करने के लिए किसी भी हद तक पहुंच जाते हैं ईरानी खिलाड़ी!

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9 फ़रवरी से शुरू हुए पेरिस ग्रैंड सिलैम 2019 में 97 देशों के 573 जूडो खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। रविवार को प्रतियोगिता के दूसरे दिन 81 किलोग्राम की कैटेगरी में ईरान के विश्व चैम्पियन सईद मुल्लाई कज़ाख़िस्तान के अपने प्रतिद्वंद्वी से सिर्फ़ इसलिए हार गए ताकि अगेल चरण में इस्राईली खिलाड़ी से सामना नहीं करना पड़े।

हालांकि इससे पहले हुए दो मुक़ाबलो में उन्होंने अपने जर्मन और जापानी प्रतिद्वंद्वियों को एक ही वार में धूल चटा दी थी। यह कोई पहली बार नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय खेलों की प्रतियोगिता में किसी ईरानी खिलाड़ी ने इस्राईली खिलाड़ी से मुक़ाबला नहीं करने का फ़ैसला किया हो।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, इससे पहले भी जब भी किसी ईरानी खिलाड़ी के मुक़ाबले में कोई इस्राईली खिलाड़ी आया है, ईरानी खिलाड़ी ने मुक़ाबले से अपना नाम वापस ले लिया है या वह उससे पहले वाले चरण में ही हार गया है।

वास्तव में ईरान, दुनिया के उन देशों में से एक है, जो इस्राईल को एक देश के रूप में मान्यता प्रदान नहीं करते हैं, बल्कि ज़ायोनी शासन को एक अतिक्रमणकारी शासन समझते हैं, जो फ़िलिस्तीन के इलाक़े में अवैध रूप से बसाया गया है।

ईरानी खिलाड़ियों के ज़ायोनी खिलाड़ियों के साथ मुक़ाबला करने से इनकार के कारण मैच प्वाइंट इस्राईली खिलाड़ियों को दे दिए जाते हैं, लेकिन ईरान खिलाड़ी यह क़ुर्बानी देकर अपने राष्ट्र का नाम ऊंचा करते हैं और अपने देश में हमेशा के लिए हीरो बन जाते हैं।