इजरायल चुनाव: आसान नहीं है नेतन्याहू की राहें?

   

भारत में इस साल लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। 23 मई को फैसला होगा कि भारत को अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। इन चुनावों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रमुख दावेदार हैं।

ऐसा नहीं है कि यह केवल भारत के प्रधानमंत्री के ही साथ है. दुनिया में कई देशों में चुनाव हो रहे हैं जहां के राष्ट्रप्रमुख की साख दाव पर लगी है। ऐसा ही कुछ है इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ।

इजराइल में मंगलवार को भारत की ही तरह आम चुनाव हो रहे हैं। यहां प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की साख दाव पर लगी है। वे पांच बार देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं। अगर वे इस बार भी प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो वे इजराइल के प्रथम प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरिओन को पीछे छोड़ देंगे जो कि अब तक देश के सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले शख्स हैं।

नेतन्याहू इस समय देश में गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। नेतन्याहू के प्रमुख विरोधी बेनी गांत्ज हैं। गांत्ज भी नेतन्याहू की तरह इजराली सेना की पृष्ठभूमि से आए हैं और नेतन्याहू के विरोधी हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में गांत्ज ने स्वच्छ राजनीति का वादा किया है। इस बार चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा एक अहम मुद्दा बन गया है।

नेतन्याहू ने चुनावों से तीन पहले ही कहा है कि अगर वे सत्ता में लौटते हैं तो इजराइल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में बसी यहूदी बस्तियों को इजरायल में मिलाएंगे और उनका ख्याल रखेंगे।

वहीं नेतन्याहू की विरोधी दक्षिणपंथी पार्टियां भी वेस्ट बैंक के हिस्से को इजराइल की संप्रभुता के दायरे में लाने का समर्थन करती हैं।