इशरत जहां की मां ने सीबीआई से कहा, अब सुनवाई में नहीं जा पाऊंगी…..बेबस हो गई हूँ !

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गुजरात पुलिस के कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने विशेष सीबीआई अदालत में कहा, मैं इंसाफ की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद अब असहाय और निराश महसूस कर रही हूं, मैं पूरी तरह से टूट चुकी हूं। इसलिए अब वह मामले की सुनवाई में शामिल नहीं हो पाऊंगी।’

बता दें कि विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश आरके चूड़ावाला चार आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा दायर किए गए डिस्चार्ज आवेदनों की सुनवाई कर रहे हैं। इनमें इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस जीएल सिंघल, पूर्व डीएसपी तरुन बरोत, पूर्व डिप्टी एसपी जेजी परमाप और असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर अंजू चौधरी हैं।

कौसर ने कहा, ‘इंसाफ के लिए इतनी लंबी लड़ाई लड़ने के बाद अब मैं असहाय और निराश महसूस कर रही हूं। 15 साल से ज्यादा समय बीत चुका है, पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं। मेरी बेटी की हत्या के मामले में सुनवाई का सामना करने के बाद भी गुजरात सरकार ने कुछ को बहाल कर दिया था। 15 साल के बाद ट्रायल बमुश्किल शुरू हो पाया है।’

कौसर ने दावा किया कि उसकी बेटी बेगुनाह थी और उसे इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह मुसलमान थी, और उसे आतंकी करार देकर नेताओं और सरकार के रजनीतिक हित पूरे किए गए। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी वकील वृंगा ग्रोवर को कहा है कि मैं लड़ने की इच्छशक्ति खो चुकी हूं और सीबीआई अदालत की कार्यवाही में नहीं आ पाऊंगी। लंबी और उलझाऊ न्याय प्रक्रिया से मैं परेशान हो चुकी हूं।’

कौसर ने कहा, कई निर्दोष नागरिकों का जीवन बचाने के लिए इस माफ कर देने वाली संस्कृति को तुरंत खत्म करने की जरूरत है। यह अकेले मेरी लड़ाई नहीं हो सकती है। अब यह सीबीआई के ऊपर है कि दोषियों को सजा मिले।

बता दें कि मुंबई के पास मुंबरा टाउनशिप की रहने वाली 19 साल की इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्ले, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद के बाद 15 जून 2004 को एक कथित मुठभेड़ में मार दिया था। पुलिस ने दावा किया था कि इन चारों का संबंध लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों से थाय़

अगस्त 2013 में सीबीआई ने सात लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी, और चार अन्य व्यक्तियों के खिलाफ फरवरी 2014 में एक पूरक चार्जशीट फाइल की थी।