इस मुस्लिम देश ने इजरायलीयों के देश में आने पर पुरी तरह प्रतिबंध लगाया!

   

मलेशिया के विदेश मंत्री ने एलान किया है कि उनका देश भविष्य में कोई भी ऐसा आयोजन नहीं करेगा, जिसमें इस्राईल भाग लेने वाला हो।
बुधवार को मलेशियाई विदेश मंत्री सैफ़ुद्दीन अब्दुल्लाह ने यह भी कहा कि मलेशियाई सरकार पैरा तैराकी प्रतियोगिता में इस्राईली एथलीटों के भाग लेने पर लगाए गए प्रतिबंध पर अटल रहेगी।

जुलाई में आयोजित होने वाली यह प्रतियोगिता 2020 में टोक्यो में आयोजित होने वाले पैरालिम्पिक्स के लिए क्वालीफाइंग चरण होगी।अब्दुल्लाह का कहना था कि मंत्रीमंडल ने पिछले ही हफ़्ते यह फ़ैसला किया है कि कोई भी इस्राईली प्रतिनिधिमंडल मलेशिया में प्रवेश नहीं कर सकता, वह खेल के लिए हो या किसी और आयोजन के लिए।

क़रीब 65 प्रतिशत मुसलमानों की संख्या वाला मलेशिया एक ऐसा मुस्लिम देश है, जो हमेशा ही फ़िलिस्तीनियों पर इस्राईल के अत्याचारों की खुलकर निंदा करता रहा है, हालांकि सऊदी अरब जैसे कुछ अरब देश जो दुनिया भर के मुसलमानों का नेतृत्व करने का दावा करते हैं, इस्राईल से ख़ुफ़िया रूप से या खुलकर सहयोग कर रहे हैं और इस्राईली अधिकारियों का अपने देश में स्वागत कर रहे हैं।

मलेशियाई विदेश मंत्री का कहना था कि उनके देश ने यह फ़ैसला किया है कि अब किसी भी ऐसे आयोजन की मेज़बानी नहीं करेगा, जिसमें इस्राईल शामिल होगा।

मलेशिया इस्राईल को औपचारिकता प्रदान नहीं करता है और उसके तेल-अवीव से किसी तरह के कोई कूटनीतिक संबंध नहीं हैं, यह मुस्लिम देश फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों के समर्थन पर बल देता है।

मलेशिया ने अमरीका और ऑस्ट्रेलिया द्वारा यरूशलम या बैतुल मुक़द्दस को इस्राईली राजधानी के रूप में मान्यता देने के फ़ैसले का कड़ा विरोध किया था। मलेशिया ने इसे फ़िलिस्तीनियों का अपमान क़रार देते हुए स्वाधीन फ़िलिस्तीनी देश के गठन पर बल दिया।

साभार- ‘parstoday.com’