ईरान की मिसाइल बिना चूक के नेतन्याहू के सर पर गिरेगा- ईरान

   

इस्लामी गणतंत्र ईरान के वरिष्ठ कमांडर मुहम्मद अली जाफ़री ने इस्राईली प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू को कड़ी धमकी देते हुए कहा है कि ईरानी मिसाइल तुम्हारे सिर पर गिरेंगे।

मुहम्मद अली जाफ़री की यह धमकी इसलिए महत्वपूर्ण है कि ईरान के मिसाइल अपने सटीक निशानों के लिए ख्याति रखते हैं। ईरान ने सटीक निशाने वाले मिसाइल विकसित करने पर बहुत अधिक काम किया है और इसमें उसे सफलता भी मिली है।

इस्राईल के प्रधानमंत्री नेतनयाहू की ओर से सीरिया में ईरानी सैनिकों पर हमला करने की धमकी का जवाब देते हुए मुहम्मद अली जाफ़री ने दो टूक शब्दों में कहा कि ईरानी सैनिक सीरिया से नहीं निकलेंगे, सीरिया में ईरान के सैनिक सलाहकार मौजूद हैं जो सीरियाई सरकार के अनुरोध पर वहां अपनी सेवाएं दे रहे है।

मुहम्मद अली जाफ़री ने कहा कि अगर ईरानी सैनिकों पर इस्राईल ने हमला किया तो ईरान के मिसाइली नेतनयाहू के सिर पर गिरेंगे।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी अपने बयान में कहा है कि सीरिया में ईरान की सैनिक छावनी नहीं है ईरानी सैनिक सलाहकार केवल परामर्श की सेवाएं अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने भी कहा कि ईरानी सैनिक सलाहकार सीरिया में उस समय तक तैनात रहेंगे जब तक सीरियाई सरकार को हमारी ज़रूरत रहेगी।

सीरिया में ईरान के सैनिक सलाहकारों की उपस्थिति इस्राईल के लिए डरावना सपना बनी हुई है क्योंकि इस्लामी गणतंत्र ईरान इस्राईल को ग़ैर क़ानूनी शासन मानता है और इस्राईल के विरुद्ध संघर्ष करने वाले फ़िलिस्तीनी संगठनों तथा हिज़्बुल्लाह लेबनान को ईरान की ओर से भरपूर समर्थन मिलता है।

इस्राईल ने पूरे फ़िलिस्तीन को हड़प लेने की योजना बनाई थी। इस्राईल ने अपनी इस योजना के लिए अमरीका की ट्रम्प सरकार का समर्थन हासिल कर लिया है और कई अरब देशों की सरकारों से भी अलग अलग प्रकार के सौदे करके इस्राईल ने उन्हें भी अपनी योजना का समर्थन करने के लिए तैयार कर लिया है। इस बीच इस्राईल के सामने सबसे बड़ी रुकावट इस्लामी गणतंत्र ईरान और वह संगठन हैं जिन्हें ईरान से समर्थन मिल रहा है।

ईरान ने फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीनियों का खुलकर समर्थन किया है और आज भी कर रहा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि इन संगठनों से युद्ध में इस्राईल को बार बार पराजित होना पड़ा है। गज़्ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनी संगठनों के खिलाफ़ युद्ध में भी और हिज़्बुल्लाह लेबनान के ख़िलाफ़ युद्ध में भी इस्राईल को नाकामी हाथ लगी।

कुछ महीने पहले गज़्ज़ा पट्टी में मौजूद फ़िलिस्तीनी संगठनों से इस्राईल की झड़प हो गई और दोनों ओर से राकेटों और मिसाइलों के हमले शुरू हो गए तो इस्राईल को यह डर सताने लगा कि उसकी आधी से अधिक आबादी को भूमिगत शरण स्थलों में शरण लेनी पड़ेगी अतः इस्राईली प्रधानमंत्री मंत्री नेतनयाहू ने फ़ौरन मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह अस्सीसी से संपर्क करके मध्यस्थता का अनुरोध किया कि संघर्ष विराम करवाएं। 48 घंटे के भीतर ही इस्राईल की यह हालत हो गई। इस संघर्ष विराम पर इस्राईल के युद्ध मंत्री एविग्डर लेबरमैन ने इस्तीफ़ा भी दिया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के नेतृत्व में पश्चिमी एशिया के इलाक़े में एक मज़बूत मोर्चा बना है जिसमें इराक़, सीरिया और लेबनान सहित कई देशों के शक्तिशाली संगठन और सेनाएं शामिल हैं। यह नए मध्यपूर्व की नई हक़ीक़त और ज़मीनी सच्चाई है।

यह सच्चाई है कि पश्चिमी एशिया के इलाक़े में साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता जा रहा है, इन शक्तियों को भी यक़ीन है कि हालात के वर्तमान रुख़ को देखते हुए उन्हें अपने बोरिया बिस्तर लपेटना होगा। यही सच्चाई इस्राईल के लिए भी डरावना सपना बनी हुई है।

साभार- ‘parstoday.com’