ईरान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने में नाकाम रहा अमेरिका!

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आरंभ में अमेरिका ने कहा था कि ईरान विरोधी विषय इस बैठक के केन्द्रीय बिन्दु होंगे परंतु यूरोपीय और गुट 4+1 के देशों के विरोध के बाद अमेरिका अपने बयान से पीछे हट गया

अमेरिका ने ईरानोफोबिया नीति के परिप्रेक्ष्य में और ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय माहौल तैयार करने और तेहरान पर दबाव डालने के लक्ष्य से 13-14 फरवरी को पोलैंड की राजधानी वार्सा में दो दिवसीय बैठक की। अमेरिकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने जारी वर्ष के आरंभ में कहा था कि इस बैठक का कन्द्र बिन्दु क्षेत्र में ईरान का प्रभाव होगा।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, ट्रंप सरकार ने ईरान पर प्रतिबंधों और दबावों में अभूतपूर्व ढंग से वृद्धि कर दी है। वाशिंग्टन का दावा है कि इस बैठक में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और उसका विचार है कि उसने राजनीतिक क्षेत्र में भी अंतरराष्ट्रीय माहौल को ईरान के खिलाफ तैयार कर दिया है ताकि क्षेत्र के संबंध में ईरान को अपनी नीतियों को परिवर्तित करने के संबंध में विवश कर सके।

आरंभ में अमेरिका ने कहा था कि ईरान विरोधी विषय इस बैठक के केन्द्रीय बिन्दु होंगे परंतु यूरोपीय और गुट 4+1 के देशों के विरोध के बाद अमेरिका अपने बयान से पीछे हट गया और अमेरिकी विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार की रात को घोषणा की कि वार्सा बैठक बहुत विस्तृत है और उसमें किसी देश या किसी विशेष विषय पर ध्यान केन्द्रित नहीं किया जायेगा।

चीन और रूस जैसे बड़े देशों ने इस बैठक में भाग नहीं लिया और फ्रांस और ज़र्मनी की भी उपस्थिति कमज़ोर रही है उसके बावजूद अमेरिकी विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नेथेनएल टेक ने इस बैठक को एतिहासिक घटना का नाम दिया जिसमें इस्राईल से लेकर वाशिंग्टन के समस्त घटकों ने भाग लिया।

यह एसी स्थिति में है जब अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण घटक यूरोपीय संघ का इस बैठक के बारे में दृष्टिकोण कुछ अलग है और उसका मानना है कि इस बैठक का केन्द्रीय बिन्दु ईरान विरोधी विषय है।

अमेरिका ने पहले घोषणा की थी कि क्षेत्र में ईरान का प्रभाव और उसका मिसाइल कार्यक्रम इस बैठक में वार्ता का मुख्य विषय होगा परंतु जब विस्तृत पैमाने पर इसका विरोध हुआ तो अमेरिकी अधिकारी अपने दृष्टिकोणों से पीछे हट गये और घोषणा की है कि इस बैठक में मध्यपूर्व से जुड़े विषयों की चर्चा की जायेगी।

बहरहाल वारसा बैठक बुधवार को अमेरिका और कुछ देशों की उपस्थिति में एसी स्थिति में आरंभ हुई कि विश्व के बहुत से देशों ने इस बैठक में भाग नहीं लिया और अगर भाग भी लिया तो बहुत निम्न स्तर पर और पोलैंड के पूर्व रक्षा मंत्री ने इस बैठक की आलोचना करते हुए कहा है कि ईरान या किसी दूसरे देश से दुश्मनी वार्सा के हित में नहीं है।

प्रत्येक दशा में बहुत देशों द्वारा वार्सा बैठक का स्वागत न किया जाना इस बात का कारण बना है कि वाशिंग्टन ने विविश होकर घोषणा की है कि इस बैठक की समाप्ति पर जारी होने वाले घोषणापत्र को अमेरिका और पोलैंड जारी करेंगे। इस प्रकार अमेरिका दूसरे देशों को उकसा कर ईरान के खिलाफ करने का जो माहौल बना रहा था उसमें वह व्यवहारिक रूप से विफल हो गया है।