ईसाई राजा अब्राहा काबा पर हमला कर इस गिरजाघर को इबादतगाह का दर्जा देना चाहता था

   

हब्स (इथोपिया) का बादशाह जिसने 525 ई में यमन फतह किया. वह ईसाइयों का हामी था. इसने यमन की राजधानी सना में एक चारदीवारी का घेरा है, जहाँ अब्राहा अल-अशरा ने एक भव्य गिरजाघर बनाया। 570 ई में मक्का पर हमला किया जिसका मकसद खाना काबा को नष्ट कर सना के इस गिरजाघर को प्रमुख इबादतगाह का दर्जा देना था.

अब्राहा की फौज में एक हाथी भी था जिसका नाम इब्न हशाम ने महमुद लिखा है. चुंकि अरबियों के लिए ये एक अनोखी चीज थी इस लिए उन्होंने हमले के साल से नाम अल फील (हाथी का साल) रख दिया. कुरान मजीद की सुरह फील में वर्णित है। आयत में है कि जब अब्राहा ने मक्के पर हमला किया तो खुदा ने मक्के वालों की मदद के लिए अबाबिल (एक प्रकार की चिड़ियां) भेजा जिन के पंजो में कंकरियां थी. ये कंकरी जिस शख्स को लग जाती, उसका बदन फट जाता और वो तड़प-तड़प कर मर जाता. इस तरह अब्राहा को वापस जाना पड़ा. ये वाक्या नबी करीम सल्ल. अलैहे वसल्लम की विलादत से पच्चास रोज पहले का है.