बीते गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में कार्यरत अनुदेशक राजेश कुमार पटेल ने आत्महत्या कर ली। पिछले दिसम्बर माह से ही अनुदेशकों का मानदेय रोक दिए जाने के कारण आर्थिक तंगी को झेल नहीं पाया राजेश।
युवा-हल्लाबोल के नेशनल कोऑर्डिनेटर गोविन्द मिश्रा ने कहा कि यह आत्महत्या नहीं प्रशासनिक हत्या है। जहां एक तरफ प्रदेश भर के हज़ारों अनुदेशक 2017 मासिक ₹17,000 मानदेय संबंधी शासनादेश को लागू करने की मांग कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में ₹8,470 का वेतनमान रोक कर सरकार ने अपनी असंवेदनशीलता को दिखा दिया है।
युवा-हल्लाबोल आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अनुपम ने ट्वीट किया कि “चार महीने से वेतन न मिलने के कारण आर्थिक तंगी से परेशान यूपी के अनुदेशक ने आत्महत्या कर ली।
क्या ऐसी दर्दनाक खबरों से सरकार का दिल नही पसीजता? वरना दो साल से हज़ारों अनुदेशकों का मानदेय बढ़ाकर ₹17,000 करने संबंधित शाषनादेश अब तक लागू क्यों नही हुआ?
कितनी मौतों के बाद असर होगा? ”
सोमवार को प्रदेश भर में राजेश पटेल जी के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के सभी 32000 अनुदेशक, अध्यापकगण तथा युवा-हल्लाबोल आंदोलन से जुड़े वालंटियर शामिल होंगे।
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