उमर अब्दुल्ला की रिहाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

   

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए)-1978 के तहत हिरासत में रखने के खिलाफ उनकी बहन द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को सुनवाई करेगा। सारा अब्दुल्ला पायलट की ओर से दायर याचिका पर न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ सुनवाई करेगी।

सारा ने अपनी याचिका में कहा है कि अब्दुल्ला को हिरासत में रखना स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है और उनसे कानून व्यवस्था को किसी खतरे का कोई सवाल ही नहीं है। याचिका में अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में रखने के पांच फरवरी के आदेश को रद्द करने के साथ उन्हें अदालत के समक्ष पेश कराने का अनुरोध किया गया है। सारा ने कहा कि प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के खिलाफ विरोध को दबाया जा सके, गलत तरीके से दंड प्रक्रिया संहिता का इस्तेमाल कर राजनीतिक नेताओं और लोगों को हिरासत में रखा है।

उमर की बहन ने अपनी याचिका में कहा कि अब्दुल्ला को हिरासत में लेना संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि 2009 से 2014 तक मुख्यमंत्री रहे उमर अब्दुल्ला के खिलाफ प्रशासन ने पीएसए यह कहकर लगाया कि उन्होंने अनुच्छेद-370 और 35 ए के मामले में लोगों को भड़काने की कोशिश की।

मुलायम ने फारूख अब्दुल्ला की नजरबंदी का मुद्दा उठाया
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला को नजरबंद रखे जाने का मुद्दा उठाया। प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि आखिर कब तक उन्हें रिहा किया जाएगा। मुलायम ने पूछा कि कब अब्दुल्ला सदन में वापसी करेंगे। दुखी होकर उन्होंने कहा कि हमारे सहयोगी हमारे साथ ही सदन में बैठते थे। मुलायम के इस सवाल पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने तवज्जो न देते हुए सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाई और अगले मुद्दे पर बातचीत शुरू कर दी। फारूख अब्दुल्ला को पहली बार पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद नजरबंद किया गया था। उनके साथ ही उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को भी हिरासत में रखा गया है।