उमर खालिद की गिरफ्तारी का कई बुद्धिजीवियों ने किया विरोध, दंगों की जांच पर उठाए सवाल

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दिल्‍ली दंगों (Delhi Riots) में संलिप्‍तता के आरोप में उमर खालिद (Umar Khalid) की गिरफ्तारी का कई बुद्धिजीवियों ने विरोध किया है. इनका कहना है कि उस पर लगाए गए अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) को हटाया जाना चाहिए. इसके साथ ही 9 रिटायर्ड आईपीएस अफसरों की ओर से भी दिल्‍ली दंगों की जांच पर अंगुली उठाई गई है.

9 आईपीएस के अलावा सैयदा हमीद, अरुंधति रॉय, रामचंद्र गुहा, टीएम कृष्णा, वृंदा करात, जिग्नेश मेवाणी, पी साईनाथ, प्रशांत भूषण और हर्ष मंदर समेत करीब 36 लोगों ने भी इसका विरोध किया है. उन्‍होंने एक बयान में कहा, ‘संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध नागरिकों के रूप में हम उमर खालिद की गिरफ्तारी की निंदा करते हैं. सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को निशाना बनाया गया. गहरी पीड़ा के साथ हमें यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि यह जांच हिंसा के बारे में नहीं है, बल्कि पूरे देश में असंवैधानिक सीएए के खिलाफ पूरी तरह से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रदर्शनों के विरोध में है.’

वहीं रिटायर्ड आईपीएस अफसर जूलियो रिबेरो ने रविवार को दिल्‍ली पुलिस कमिश्‍नर को पत्र लिखकर उत्‍तर पूर्वी दिल्‍ली में दंगों के केस की जांच पर सवाल उठाए. रिबेरो मुंबई पुलिस कमिश्‍नर, गुजरात और पंजाब के डीपीजी और रोमानिया में भारतीय राजदूत रह चुके हैं. सोमवार को 9 और रिटायर्ड अफसरों ने दिल्‍ली पुलिस कमिश्‍नर को खुला पत्र लिखकर दंगों की दोबारा जांच की मांग की है.
एक पत्र में कहा गया, ‘हमें यह जानकर दुख हुआ कि आपके विशेष कमिश्‍नर ने अपने समुदाय से संबंधित कुछ दंगाइयों की गिरफ्तारी को लेकर हिंदुओं में नाराजगी का दावा करते हुए जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी. पुलिस नेतृत्व में इस तरह के रवैये से पीड़ितों और अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित परिवार के सदस्यों के लिए न्याय का संकट पैदा होता है. इसका मतलब यह होगा कि बहुसंख्यक समुदाय से संबंधित हिंसा के असली दोषियों के मुक्त होने की संभावना है.’