ऊर्दू को लेकर मोदी सरकार कितना गंभीर?

   

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे विश्व उर्दू सम्मेलन की सफलता की कामना करते हुए आशा व्यक्त की है कि उर्दू भाषा को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के लिए हम सब मिलकर प्रयास करेंगे।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद द्वारा 18 मार्च से 20 मार्च तक दिल्ली में आयोजित किए जा रहे विश्व उर्दू सम्मेलन के लिए अपने संदेश में कहा कि उर्दू भाषा गंगा-जमुनी संस्कृति को दर्शाती है और एक लोकप्रिय भाषा रही है। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा का विश्व स्तर पर प्रोत्साहन और संरक्षण के प्रयास सराहीनय हैं।

इसे प्रौद्योगिकी और डिजिटल माध्यम से और लोकप्रिय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि छठे विश्व उर्दू सम्मेलन में शामिल होने वाले भाषाविद् और विशेषज्ञ ऐसे व्यावहारिक उपाय सुझाएंगे जिनसे उर्दू को विश्व भर में लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि 18 से 20 मार्च तक भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाले छठे विश्व उर्दू सम्मेलन में जहां दुनिया भर के 15 देशों के उर्दू भाषा के जानकार और अदीब भाग ले रहे हैं वहीं इस सम्मेलन में पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के निदेशक डॉक्टर अक़ील अहमद ने बताया कि सम्मेलन में बांग्लादेश, ईरान, मॉरिशस, मिस्र, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के उर्दू भाषा के जानकार और लेखक भाग लेंगे, लेकिन पुलिवामा हमले को देखते हुए आमंत्रित किए गए 9 पाकिस्तानी लेखकों का निमंत्रण रद्द कर दिया गया है।