एक बार फिर शाहीनबाग पहुंचे वार्ताकार, प्रदर्शनकारियों से की बात

   

दिल्ली के शाहीन बाग में नागिरकता संशोधन कानून(सीएए) के खिलाफ 15 दिसंबर से ही महिलाएं धरने पर बैठी हैं. शाहीन बाग में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए वार्ताकारों और प्रदर्शनकारियों के बीच पहले दौर की बातचीत का नतीजा भले ही सामने न आया हो, लेकिन एक बार फिर वार्ताकार साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े मंगलवार शाम शाहीन बाग पहुंचे. वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की.

सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी को हुई सुनवाई में कहा था कि राजधानी में इस समय माहौल ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई 23 मार्च तक के लिए टाल दी थी. वार्ताकारों और प्रदर्शनकारियों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी.

इससे पहले वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन और प्रदर्शनकारियों के बीच चार दिन की बातचीत भी बेनतीजा रही थी. दोनों ने प्रदर्शनकारियों को रास्ता खोलने के लिए समझाया था. प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकार के समक्ष सात मांगे रखते हुए कहा था कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता, तब तक रास्ते को खाली नहीं किया जाएगा.

वार्ताकारों के दौरे पर साउथ ईस्ट डीसीपी आरपी मीणा ने बताया कि दोनों वार्ताकार शाहीन बाग पहुंचे थे, जहां उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बात की. मीणा ने बताया कि शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन जारी है और इलाके में हालात पूरी तरह सामान्य और नियंत्रण में हैं.

नागरिकता कानून हटाने की मांग कर रहे हैं प्रदर्शनकारी

शाहीन बाग में महिलाओं को बैठे हुए तीन महीने का वक्त होने वाला है. महिलाओं का कहना है कि जब तक नागरिकता कानून केंद्र सरकार वापस नहीं ले लेती है, तब तक वे धरने पर ही बैठी रहेंगी. वहीं केंद्र सरकार का इस मामले पर कहना है कि किसी भी कीमत पर केंद्र सरकार नागरिकता कानून पर अपना फैसला वापस नहीं लेगी. इसके अलावा जामिया और शाहीन बाग के लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग भी महिलाओं की तरफ से की गई है.