एनआईए संशोधन बिलः विपक्षी दलों ने जनता को धोखा दियाः पाॅपुलर फ्रंट

   

पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव अब्दुल वाहिद सेठ ने एक बयान में कहा है कि संसद के दोनों सदनों में केवल कुछ लोगों के विरोध के साथ एनआईए बिल का पास किया जाना इस बात का खुला सबूत है कि भारतीय संसद, सरकार में रसूख़ रखने वालों के सत्तावादी एजेंडे पर काम कर रहा है।

अत्यंत अपात्तिजनक एनआईए संशोधन बिल 2019 पर सवाल उठाने और उसके खिलाफ वोट डालने की हिम्मत सिर्फ कुछ ही सांसदों ने दिखाई है। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर गृहमंत्री की चेतावनी पर विपक्षी दलों ने बिल को लेकर बुज़दिली और कमहिम्मती का प्रदर्शन किया है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी का रिकाॅर्ड यह साबित करने के लिए काफी है कि एनआईए के दुरूपयोग पर अमित शाह का आश्वासन सिर्फ एक खोखला दावा है। अपने मौजूदा अधिकारों के साथ यह एजेंसी मुसलमानों और देश के अन्य कमज़ोर वर्गों के खिलाफ बहुत ज़्यादा भेदभावपूर्ण और पक्षपातपूर्ण साबित हुई है। आम तौर पर इसने सत्ताधारियों के लाभ के लिए काम किया है और देश में होने वाले हिंदुत्व हमलों के मामलों को देखने में यह हमेशा अयोग्य साबित हुई है। इस प्रकार की भ्रष्ट एजेंसी को और ज़्यादा अधिकार देने वाला मौजूदा संशोधन केवल अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।

कांग्रेस, सपा, बसपा जैसी पार्टियों ने बिल के हक़ में वोट देकर, उन्हें वोट देने वाले लोगों को धोखा दिया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का बिल पर वोट न देने का फैसला भी बहुत ही गैर-ज़िम्मेदाराना है। पीड़ित मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाली पार्टी के लिए बिल के खिलाफ वोट डालकर मुसलमानों की भावना को पेश करने का यह अच्छा अवसर था। लेकिन अफसोस! जब इस एजेंडे पर सवाल उठाने का अवसर आया तो पार्टी ने ग़लत रास्ता चुनते हुए अपनी कमहिम्मती का सबूत दिया।

अब्दुलवाहिद सेठ ने एआईएमआईएम, सीपीआई, सीपीएम और नेशनल कांफ्रेंस के सांसदों के हौसले को सराहा, जो बिल के खिलाफ वोट देकर अपने स्टैंड पर अटल रहे। भले ही आपकी संख्या कितनी हो, लेकिन सच बात कहने के लिए नैतिक हौसले और लोकतंत्र के सही अहसास की आवश्यकता होती है। अब्दुल वाहिद सेठ ने आगे कहा कि संसद के अंदर विपक्षी दलों ने जो स्टैंड अपनाया है, वह बीजेपी का सही विकल्प होने के उनके दावे पर प्रश्न खड़ा करता है।