एफएम स्टेशन से स्थानीय प्रतिभाओं को सामने आने का अवसर मिलेगाः नायडू

   

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज आंध्र प्रदेश में नेल्लोर आकाशवाणी एफएम स्टेशन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि तमाम चैनलों द्वारा विजुअल सामग्री की भरमार के बीच रेडियो प्रसारण वापस आ रहा है।

एफएम स्टेशन की शुरूआत के बाद तेलुगु और अंग्रेजी में नेल्लोर के लोगों को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि तेलुगु में मनोरंजन कार्यक्रम प्रसारित करने के अलावा एफएम स्टेशन किसानों और अन्य वर्गों को महत्वपूर्ण सूचनाएं भी प्रदान करेगा।

श्री नायडू ने कहा कि एफएम स्टेशन स्थानीय कलेवर में प्रसारण के जरिए स्थानीय प्रतिभाओं को मंच प्रदान करेगा। इससे स्थानीय लोगों को संगीत और अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा और श्रोता सम-सामयिक जानकारी भी प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि जब वे सूचना और प्रसारण मंत्री थे, तो उस समय एफएम स्टेशन स्थापित करने का विचार किया गया था। उन्होंने प्रसार भारती, आकाशवाणी और भारत सरकार के संयुक्त प्रयासों की प्रशंसा की, जिसकी बदौलत नेल्लोर के लोगों का सपना पूरा हो रहा है। रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मासिक संबोधन ‘मन की बात’ से रेडियो को नई पहचान मिली है।

एफएम रेडियो के उद्घाटन अवसर पर आंध्र प्रदेश के नगर निगम प्रशासन मंत्री श्री पोंगुरू नारायण, प्रसार भारती के सीईओ श्री शशि शेखर वेम्पति, आकाशवाणी के महानिदेशक श्री एफ. शहरयार और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

इसके पूर्व उपराष्ट्रपति ने नेल्लोर में सरदार पटेल नगर के मुप्पावरापू फाउंडेशन नॉलेज सेंटर स्थित बासावतारकम कैंसर संस्थान द्वारा आयोजित एक चिकित्सा शिविर का उद्घाटन भी किया। उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए उन्होंने नियमित चिकित्सा जांच के महत्व पर जोर दिया, ताकि कैंसर की पूर्व पहचान की जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी मातृभाषा को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की शपथ लें। उन्होंने कहा कि मातृभाषा को सुरक्षित करने के लिए अभियान को मजबूती देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जन-संचार और सिनेमा को मातृभाषा को प्रोत्साहन देने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने सभी राज्य सरकारों से अपील की कि वे अपनी-अपनी मातृभाषा को प्राथमिक स्कूल तक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करें।