एमटीएनएल का बीएसएनएल में होगा विलय, सरकार ने 69000 करोड़ रु का रिवाइवल पैकेज घोषित किया

   

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को रबी की फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी समेत कई अहम फैसले हुए। आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल का बीएसएनएल में मर्जर होगा। एमटीएनएल मर्जर प्रक्रिया पूरी होने तक बीएसएनएल की सब्सिडियरी बनी रहेगी। दोनों कंपनियों को 4जी स्पेक्ट्रम अलॉट किया जाएगा।

स्पेक्ट्रम का खर्च सरकार उठाएगी। दोनों कंपनियों को 20,140 करोड़ रुपए की पूंजी दी जाएगी। स्पेक्ट्रम पर लगने वाले 3,674 करोड़ रुपए के जीएसटी का खर्च भी सरकार उठाएगी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 4जी सेवाओं के जरिए दोनों कंपनियां प्रतिस्पर्धी बनेंगी। दोनों कंपनियों सॉवरेन बॉन्ड के जरिए 15 हजार करोड़ रुपए जुटाएंगी।

सरकार ने बीएसएनएनल और एमटीएनएल के कर्मचारियों के लिए आकर्षक वीआरएस योजना भी पेश की है। 50 साल या अधिक उम्र के कर्मचारी इसका फायदा ले सकेंगे। इस स्कीम के लिए अतिरिक्त 17,160 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। रिटायरमेंट की अन्य जिम्मेदारियों पर 12,768 करोड़ खर्च होंगे। इस तरह दोनों कंपनियों के लिए कुल 68,742 करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया गया।

एमटीएनएल और बीएसएनएल लंबे समय से घाटे में चल रही हैं। दोनों कंपनियों को पिछले महीनों में कई बार कर्मचारियों का वेतन देने में भी दिक्कतें आ चुकी हैं। बीएसएनएल को 2018-19 में करीब 14,202 करोड़ रुपए का घाटा होने का अनुमान है। 2017-18 में 7,993 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। 2016-17 में 4,793 करोड़ और 2015-16 में 4,859 रुपए का घाटा हुआ था।

कैबिनेट ने रबी की फसल के समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की मंजूरी भी दी। प्रमुख फसल गेहूं का एमएसपी 85 रुपए बढ़कर 1925 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है, पहले 1840 रुपए था। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, रविशंकर प्रसाद और हरदीप सिंह पुरी ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी।