एर्दोगन के साथ इमरान खान की नजदीकियों से अमेरिका सहित कई देशों की चिंता बढ़ी!

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इस समय सऊदी अरब की तो यह हालात है कि वह वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या के बाद की गंभीर अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों से जूझ रहा है जबकि दूसरी ओर सऊदी अरब के प्रतिद्वंद्वी तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान दो महत्वपूर्ण इस्लामी देशों के नेताओं से मिले जिसकी विशेष महत्व और संदेश है।

एक मुलाक़ात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से हुई, पाकिस्तान एकमात्र परमाणु शक्ति संपन्न इस्लामी देश है और दूसरी मुलाक़ात इराक़ के राष्ट्रपति बरहम सालेह से हुई। इराक़ बहुत तीव्र गति से मज़बूत हो रहा है और क्षेत्र व अरब जगत के स्तर पर अपनी प्रभावी भूमिका में लौट रहा है।

राष्ट्रपति अर्दोग़ान को अच्छी तरह पता चल चुका है कि सीरिया संकट अपनी समाप्ति के क़रीब पहुंच गया है और सऊदी अरब, इमारात तथा मिस्र का गठबंधन इस कोशिश में लग गया है कि सीरिया से उसके संबंध बहाल हो जाएं तथा यह सब मिलकर तुर्की को घेरने की प्रक्रिया शुरू करें। अतः उन्होंने पहल करते हुए इन तीनों देशों को घेरने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।

इसके लिए अर्दोग़ान ने पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश तेज़ कर दी है। शायद यही कारण है कि अर्दोग़ान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का अंकारा में बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया और तुर्की तथा पाकिस्तान के बीच व्यापार को विस्तार देने पर ज़ोर दिया साथ ही तुर्की, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान की इस्तांबूल शहर में बैठक के कार्यक्रम की घोषणा भी कर दी गई।

इराक़ के साथ संबंधों के मामले में भी यह बात विशेष रूप से नोट की गई कि दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने संयुक्त बयान में आतंकवाद से लड़ने पर ज़ोर दिया। इसका मतलब यह है कि इराक़ संभावित रूप से तुर्की के साथ अपने उस पुराने समझौते की समय सीमा बढ़ाने के लिए तैयार है जिसके तहत तुर्की की वायु सेना के विमान इराक़ के भीतर कुर्द लड़ाकों के ठिकानों पर हमले करते थे।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने जो अंकारा यात्रा में इमरान ख़ान के साथ थे कहा कि उनका देश और तुर्की इस बात पर सहमत हुए हैं कि स्ट्रैटेजिक मुद्दों पर एक साथ खड़े नज़र आएंगे तथा सभी क्षेत्रों में सहयोग और समन्वय बढ़ाएंगे। दोनों देशों के बीच आर्थिक क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है।

पाकिस्तान चाहता है कि तुर्की उसके यहां निवेश करे और मूल संरचनाओं के विस्तार में अपने अनुभवों से पाकिस्तान को लाभ पहुंचाए। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर भी सहमति हुई है। पाकिस्तान ने तुर्की से एक अरब डालर का हेलीकाप्टर समझौता किया है।

शाह महमूद क़ुरैशी के बयान की पुष्टि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले से भी होती है जिसमें तुर्की के विद्रोही नेता फ़त्हुल्लाह गोलेन के संगठन को आतंकी संगठन क़रार दिया और पाकिस्तान में उसकी गतिविधियों पर रोक लगा दी वरना इससे पहले फ़त्हुल्लाह गोलेन के संगठन के बहुत से स्कूल पाकिस्तान में चल रहे थे।

पाकिस्तान के संबंध में सऊदी अरब और तुर्की के बीच मुक़ाबला अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है और यह साफ़ नज़र आ रहा है कि इस मुक़ाबले में तुर्की काफ़ी आगे है क्योंकि उसे ईरान, इराक़ और क़तर का समर्थन प्राप्त है।

तुर्की वास्तव में सऊदी अरब, इमारात और मिस्र को एक सुन्नी बेल्ट के माध्यम से घेरना चाहता है और अर्दोग़ान को अपनी इस योजना में सफलताएं भी मिल रही हैं। यहीं से यह भी समझा जा सकता है कि सऊदी अरब और इमारात का झुकाव सीरिया की ओर तेज़ी से क्यों बढ़ रहा है।

बात यहां तक पहुंच गई है कि सऊदी अरब ने रियाज़ में मौजूद सीरियाई विद्रोहियों के कार्यालय को आदेश दिया है कि वह अपनी इमारत पर सीरिया का वही पुराना ध्वज लहराए क्योंकि विद्रोही संगठनों ने सीरिया के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में बदलाव करके नया ध्वज बना लिया था और अपने कार्यालय की इमारत पर उसी को लगा रखा था मगर अब उसके स्थान पर सीरिया का असली राष्ट्र ध्वज लहराता देखा जा सकता है।

सऊदी अरब ने यहां तक कह दिया था कि विद्रोही संगठन सीरिया का असली ध्वज अपने कार्यालय पर लगाएं या फिर रियाज़ से चले जाएं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान मेहनती और काफ़ी समझदार इंसान हैं, उन्होंने आक्सफ़ोर्ड से शिक्षा ली है और क्रिकेट में शानदार कैरियर के बात राजनीति में पहुंचे हैं। वह अपने देश को मज़बूत बनाने के लिए बड़ी कोशिशों में लगे हुए हैं।

इसीलिए उन्होंने कुछ महीने पहले सऊदी अरब में होने वाले डेवोस इन द डेज़र्ट सम्मेलन में भाग लिया क्योंकि उस समय सऊदी अरब बड़ी क़ीमत अदा करके राष्ट्राध्यक्षों को इस सम्मेलन में बुला रहा था। इसलिए कि कई देशों ने वरिष्ठ पत्रकार की हत्या के बाद इस सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया था।

साभार- ‘parstoday.com’