ऑटो सेक्टर में संकट : 18 महीने में बंद हुए 286 डीलरशिप आउटलेट

   

लगातार मंदी की मार से जूझ रही ऑटो इंडस्ट्री की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कुछ समय पहले यह ख़बर आई थी कि ऑटो सेक्टर से 10 लाख नौकरियाँ जाने का ख़तरा है तो अब ख़बर आई है कि पिछले 18 महीनों में 286 डीलरों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ी हैं। इसके अलावा जुलाई, 2019 में पिछले 19 सालों में सबसे कम वाहनों की बिक्री हुई है। ऑटो इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि अभी इससे भी ज़्यादा ख़राब हालात आने वाले हैं।
सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफ़ैक्चर्स की ओर से मंगलवार को जारी किए गए आकंड़े के मुताबिक़, जुलाई, 2019 में यात्री और दोपहिया वाहनों की बिक्री 19 फ़ीसदी गिरी है। इससे पहले वाहनों की बिक्री में इतनी बड़ी गिरावट दिसंबर 2000 में हुई थी और तब यह 22 प्रतिशत तक गिर गई थी। ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) के सामने आये संकट के लिए इस मौजूदा गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

देश की बड़ी मोटर कंपनियों ने अपनी मासिक बिक्री के आँकड़े हाल ही में जारी किए थे। इसके मुताबिक़, मारुति की बिक्री 1 लाख के आँकड़े को भी नहीं छू पाई और इसके वाहनों की बिक्री में 33.5 प्रतिशत की कमी देखी गई थी। इसी तरह महिंद्रा एंड महिंद्रा की बिक्री भी 15 प्रतिशत गिरी है। दुपहिया वाहनों में टीवीएस मोटर की बिक्री में 13 फ़ीसदी तो रॉयल एनफ़ील्ड की बिक्री में 22 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, इंडिया यामाहा मोटर ने मंगलवार को कहा कि दो पहिया वाहनों की बिक्री में जुलाई में 16.82 प्रतिशत की कमी आई है। फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फ़ाडा) ने कहा है कि पिछले 18 महीनों में 286 डीलर आउटलेट बंद होने के कारण मई से जुलाई के बीच लगभग 2 लाख नौकरियाँ चली गई हैं।

दिग्गज कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया की बिक्री जुलाई में 36.71 फ़ीसदी गिरी थी जबकि हुंडई की बिक्री 10.28 फीसदी और दोपहिया वाहनों की सबसे बड़ी कंपनी हीरो मोटो कॉर्प की बिक्री भी जुलाई में 22.9 फीसदी गिरी थी। दूसरी ओर, इन दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिसली है। पहले यह पाँचवे स्थान पर थी लेकिन अब यह सातवें स्थान पर आ गई है।

‘इकनॉमिक टाइम्स’ की एक हालिया ख़बर के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान निसान मोटर ने 38 तो हुंदे ने 23 डीलर हटा दिए। होंडा, मारुति, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स के डीलर भी कामकाज समेटने पर मजबूर हुए हैं। वाहनों की बिक्री में गिरावट से यह स्पष्ट होता है कि पूरे कार उद्योग पर संकट है। वाहनों की बिक्री में कमी से यह भी संकेत मिलता है कि लोगों के पास वाहन खरीदने लायक पैसे नहीं हैं, यानी उनकी क्रय शक्ति घटी है। क्रय शक्ति में गिरावट आने का मतलब यह हुआ कि अर्थव्यवस्था में मंदी आ सकती है। ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि इस तरह का संकट पहले कभी नहीं आया।

ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने हाल ही में इस मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलकर उन्हें बताया था कि यह इंडस्ट्री में अब तक का सबसे ख़राब दौर है। उनका कहना है कि ऑटोमोबाइल्स पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% किया जाना चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि इससे लोगों की सामर्थ्य बढ़ेगी और वे वाहन खरीदने के लिए आगे आएँगे।
घटती नौकरियों और ग्रामीण इलाक़ों तथा छोटे शहरों में बढ़ती आर्थिक दिक़्क़तों ने ऑटो इंडस्ट्री पर निश्चित रूप से गहरा असर डाला है। इस साल अप्रैल महीने में यह ख़बर आई थी कि 13 सालों में पहली बार स्कूटर्स की बिक्री घटी है। बेरोज़गारी, नोटबंदी, जीएसटी के बाद बिगड़े आर्थिक हालात के कारण लगातार विपक्ष की आलोचना झेल रही मोदी सरकार को ऑटो इंडस्ट्री में निराशा के माहौल को लेकर एक बार फिर चौतरफ़ा हमले झेलने पड़ सकते हैं। ऑटो इंडस्ट्री सरकार से तत्काल राहत देने की उम्मीद लगाए बैठी है।