अगर किसी कर्मचारी ने अपनी कंपनी यानी नियोक्ता को स्थायी खाता संख्या (PAN) या आधार संख्या उपलब्ध नहीं कराई, तो उसके वेतन से 20 फीसदी या ज्यादा टीडीएस कटौती की जा सकती है. यह कटौती उसकी टैक्सेबल इनकम से की जाएगी. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सभी नियोक्ताओं को ये निर्देश जारी किया है.
हाल में जारी किए गए एक सर्कुलर में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने नियोक्ताओं को सलाह दी है कि उन्हें कर्मचारियों से पैन या आधार लेना चाहिए, साथ ही वेतन के लिए जारी स्टेटमेंट में उसे दर्ज करना चाहिए.
बता दें, आयकर अधिनियम के मुताबिक, कमाई करने वाले लोगों के लिए पैन देना जरूरी है और ऐसा करने में नाकाम रहने वाले लोगों से कानून के मुताबिक उनकी करयोग्य आय पर 20 फीसदी तक या उससे ज्यादा (जो भी ज्यादा हो) टीडीएस वसूला जा सकता है.
इन दिनों वित्त वर्ष के लिए अपने खातों को तैयार करने के लिए कंपनियां ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं. इसे देखते ही इस समय यह सर्कुलर जारी किया गया है. आयकर विभाग ने नियोक्ताओं से कहा कि उन्हें सभी स्थितियों में बकाया कर का आकलन करना है और सबसे ज्यादा टैक्स कटौती क
रनी है.
सर्कुलर के मुताबिक, यदि लागू दरों के आधार पर आयकर की औसत दर 20 फीसदी से कम है, तो 20 फीसदी की कटौती की जानी है. यदि औसत दर 20 फीसदी से ज्यादा है, तो औसत दर पर ही टीडीएस की कटौती करनी है.
लेकिन इनकम टैक्स विभाग ने एक सहूलियत यह दी है कि यदि 20 फीसदी की दर से टीडीएस काटा गया है, तो उसमें 4 फीसदी स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर की कटौती करने की जरूरत नहीं है. यदि कर्मचारी की आय 2.50 लाख रुपये की कर योग्य सीमा से कम है, तो टीडीएस काटने की कोई जरूरत नहीं है.
इनकम टैक्स विभाग ने यह रिमाइंडर ऐसे वक्त में जारी किया है, जब सरकार कंपनी कर की दरों में भारी कटौती के बावजूद प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को हासिल करने के लिए खासी मशक्कत कर रही है. सरकार ने निवेश को प्रोत्साहन देने और अर्थव्यवस्था को सुस्ती से उबारने के उद्देश्य से कंपनी कर में कटौती की थी.
कंपनियां अपनी टीडीएस बाध्यताओं को लेकर खासी सतर्क रहती हैं, क्योंकि किसी भी तरह के डिफॉल्ट की स्थिति में उन पर भारी जुर्माना लग सकता है.
सर्कुलर में यह बात दोहराई गई कि नियोक्ताओं को कर कटौती और संग्रह खाता संख्या (TAN) लेना चाहिए और चालान, टीडीएस प्रमाण पत्र, स्टेटमेंट और जारी होने वाले अन्य दस्तावेजों में उसे दर्ज करना चाहिए. ऐसा नहीं करने की स्थिति में कंपनी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है. सर्कुलर में नियोक्ताओं की सुविधा के लिए विभिन्न आय स्लैब पर लागू कर की दरों और अधिभार का उल्लेख भी किया गया है.