‘कम्युनिटी लीडर्स कन्वेंशन’ में अधिकारों के हनन को रोकने के लिए ज़मीनी स्तर पर एकजुटता बनाने पर ज़ोर

   

जनता को उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए एकजुट करने तथा ख़ौफ और नफरत से आज़ाद शांतिपूर्वक माहौल की बहाली की ओर क़दम बढ़ाते हुए, पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया की ओर से 7 सितंबर 2019 को एन.डी. तिवारी भवन, नई दिल्ली में ‘‘कम्युनिटी लीडर्स कन्वेंशन’’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न स्थानीय संगठनों और संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए दिल्ली व आसपास से लगभग 200 आमंत्रित लोगों ने भाग लिया।

देश की मौजूदा सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, कन्वेंशन में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि देश के कुछ हिस्सों में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे अधिकारों के हनन को रोकने के लिए ज़मीनी स्तर पर एकता बनाई जाए। बैठक में स्थानीय समुदायों से इस बात की अपील की गई कि वे अपराधियों को सज़ा दिलाने के लिए संवैधानिक व कानूनी तरीकों को अपनाएं। साथ ही यूएपीए एक्ट और एनआईए एक्ट में किये गए संशोधन, जम्मू व कश्मीर के विशेष दर्जे के खात्मे, एनआरसी के विस्तार आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर प्रस्ताव भी पास किये गए।(प्रस्ताव की काॅपी संलग्न है)

विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों से जुड़े नेताओं और प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किये।
पाॅपुलर फ्रंट के चेयरमैन ई. अबूबकर ने अपने उद्घाठन भाषण में कहा कि मौजूदा सरकार की कार्यवाहियां न केवल मुसलमानों, बल्कि देश के सभी नागरिकों के खिलाफ हैं। ‘‘फासीवादी ताकतें यह समझती हैं कि वे बहुत ही संगठित बहुसंख्यक हैं, लेकिन इतिहास साक्षी है कि ऐसे न जाने कितने ही संगठित बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों ने पराजित किया है।’’ उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि एनआरसी के लिए अपने कागज़ात तैयार रखने के नाम पर खौफ का माहौल पैदा करने के बजाए, इस एनआरसी को ही गंगा-यमुना में फेंक दीजिए।

अपने मुख्य भाषण के दौरान पाॅपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय सचिव अनीस अहमद ने कहा कि फासीवादी ताकतों को खुश करके आप उनके एजेंडे को कभी बदल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि जिस तरह एमर्जेंसी के समय में देश ने एक ज़बरदस्त आंदोलन देखा था आज एक ऐसे ही आंदोलन की आवश्यकता है।

मुंबई हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी.जी. कोल्से पाटिल ने कहा कि अगर लोग वास्तव में फासीवाद को शिकस्त देना चाहते हैं, तो उन्हें अपने घरों से बाहर निकल कर सड़कों पर आना होगा।

अपने विचार रखते हुए गद्दी नशीन अजमेर शरीफ सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि अल्पसंख्यकों के बीच मौजूद मतभेदों के साथ हम फासीवादी ताकतों को कभी हरा नहीं सकते। अगर इस मकसद के लिए हम खुद को एकजुट न कर पाए, तो हमारी आने वाली नस्लें हमें कभी माफ नहीं करेंगी।

कन्वेंशन को संबोधित करने वाले अन्य वक्ताओं में जावेद अली खान (सांसद), एडवोकेट शरफुद्दीन अहमद (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एसडीपीआई), डाॅ॰ तसलीम अहमद रहमानी (राष्ट्रीय सचिव, एसडीपीआई), अशोक भारती (राष्ट्रीय अध्यक्ष, आॅल इंडिया अम्बेडकर महासभा व जनसम्मान पार्टी), एडवोकट एन.डी. पंचोली, राघवन श्रीनिवासन (राष्ट्रीय अध्यक्ष, लोकराज संगठन), एडवोकेट भानू प्रताप (राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय जनहित संघर्ष पार्टी), डी.सी. कपिल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, आॅल इंडिया दलित मुस्लिम युनाइटेड मोर्चा), हरमिंदर सिंह अहलवालिया (कन्वीनर, युनाइटेड सिख मिशन) आदि शामिल हैं।

पाॅपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय महासचिव एम. मुहम्मद अली जिन्ना ने सर्वसहमति से पारित प्रस्तावों को सबके सामने पेश किया।

ए.एस. इस्माईल, अध्यक्ष, नाॅर्थ ज़ोन, पाॅपुलर फ्रंट ने कन्वेंशन की अध्यक्षता की। ज़ोनल सचिव अनीस अंसारी ने महमानों का स्वागत किया और डाॅ॰ मुहम्मद शमून ने सबका धन्यवाद किया। परवेज़ अहमद, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, पाॅपुलर फ्रंट ने कार्यक्रम का संचालन किया।