कश्मीर पर फिर बोले डोनाल्ड ट्रंप, कहा- ‘मुद्दा हिंदू-मुसलमान का है’

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जम्मू-कश्मीर पर मध्यस्थता को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रोज नए नए बयान सामने आ रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्य़स्थता की इच्छा जताई है. मध्यस्थता की पेशकश के बीच उन्होंने अब एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर का विवाद धर्म को लेकर है और मुद्दा हिंदू-मुसलमान का है.

 

कश्मीर में हिंदू और मुसलमान के बीच मेलजोल नहीं– ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे. अमेरिका ने पीएम मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कश्मीर में तनाव कम करने के लिये कदम उठाने का अनुरोध किया था. ट्रंप ने कहा, ‘‘कश्मीर बेहद जटिल जगह है. यहां हिंदू हैं और मुसलमान भी और मैं नहीं कहूंगा कि उनके बीच काफी मेलजोल है. मध्यस्थता के लिए जो भी बेहतर हो सकेगा, मैं वो करूंगा.’’

 

गंभीर स्थिति, लेकिन अच्छी बातचीत– ट्रम्प

 

कल डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों से कश्मीर मामले में क्षेत्र में तनाव कम करने की अपील की थी. ट्रंप ने ट्वीट कर कश्मीर की स्थिति को ‘गंभीर’ बताया था. ट्रम्प ने 19 अगस्त को पीएम मोदी से बात करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भी बात की थी और उन्हें भारत के खिलाफ संभल कर बयानबाजी करने को कहा था.

 

 

कश्मीर को लेकर ट्रंप के दावे पर हो चुका है बवाल

 

वहीं, पिछले महीने कश्मीर को लेकर ट्रंप के एक दावे पर खूब बवाल मचा था. इमरान खान के साथ अपनी बैठक के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि मोदी और मैंने पिछले महीने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी, जहां मोदी ने मुझसे कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की पेशकश की थी.  ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं दो सप्ताह पहले पीएम मोदी के साथ था और हमने कश्मीर पर बात की थी और उन्होंने वास्तव में कहा, ‘क्या आप मध्यस्थता या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहां?’ मोदी ने कहा ‘‘कश्मीर.’’

 

अनुच्छेद 370 पर भारत का फैसला आंतरिक मामला– अमेरिका

 

इससे पहले अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की मध्यस्थता से इनकार किया था. वरिष्ठ राजनयिक का कहना था कि जम्मू कश्मीर पर भारत सरकार ने हाल में जो फैसला लिया है वह उसका आंतरिक मामला है.

 

अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘‘हम मानते हैं कि यह (कश्मीर पर भारत का फैसला) उनका आंतरिक मामला है, लेकिन जाहिर है इसके भारत की सीमा के बाहर भी प्रभाव होंगे. हम लंबे समय से दशकों के इस मुद्दे को सुलझाने के लिये भारत और पाकिस्तान को सीधी बातचीत की सलाह दे रहे हैं.’’

 

बता दें कि भारत ने दृढ़ता से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाकर जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेना उसका आंतरिक मामला है और उसने पाकिस्तान को भी इस हकीकत को स्वीकार की सलाह दी है.