कश्मीर- पुलिस हिरासत में प्रिंसिपल की मौत, लगा हत्या का आरोप, घाटी में बंद का आह्वान

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दक्षिण कश्मीर के अवंतिपुरा से पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए एक 29 वर्षीय स्कूल प्रिंसिपल रिज़वान असद पंडित की मंगलवार को पुलिस हिरासत में मौत हो गई.

इसके बाद अलगाववादियों ने घाटी में बंद का आह्वान किया है. घटना के बाद लोगों की सुरक्षाकर्मियों से हिंसक झड़पें भी हुईं.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, पीड़ित के परिवार ने आरोप लगाया कि हिरासत में रिज़वान असद पंडित की ‘हत्या’ की गई. वहीं पुलिस ने कहा कि उन्होंने रिज़वान की मौत का कारण और परिस्थितियों का पता लगाने के लिए आपराधिक दंड संहिता की धारा 176 के तहत मजिस्ट्रेट जांच कराने की मांग की है.

रिज़वान के परिजनों के अनुसार रिज़वान को पुलिस द्वारा रविवार रात को अवंतिपुरामें उनके घर से ले जाया गया था. मंगलवार सुबह उन्हें हिरासत में रिज़वान की मौत होने की सूचना दी गई और देर शाम पुलिस ने उनका शव परिजनों को सौंप दिया.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रिज़वान के बड़े भाई मुबाशिर असद ने कहा, ‘हम किसी भी जांच में विश्वास नहीं करते हैं. हमने पहले आदेश दिए गए जांच के परिणामों को देखा है. हमारी केवल एक मांग है, हमें बताया जाए कि किस अपराध के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया था और हत्या की गई है. वह पूरी तरह से स्वस्थ थे और हिरासत में उसकी हत्या कर दी गई थी. हम चाहते हैं कि उसकी हत्या में शामिल लोगों को अदालत में लाया जाए और फांसी दी जाए.’

मुबाशिर बायोकेमिस्ट्री में एमएससी किए हुए हैं और पंपोर के दिल्ली मॉडर्न पब्लिक स्कूल में पढ़ाते हैं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस और भाजपा की सहयोगी पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे ‘अस्वीकार्य’ करार दिया और इसमें ‘हत्यारों’ के लिए ‘उदाहरणात्मक दण्ड’ की मांग की है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रिज़वान की मौत की समयबद्ध जांच कराने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा देने की  मांग की.

अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘मुझे उम्मीद थी कि हिरासत में मौतें हमारे काले अतीत की चीज थीं. यह एक अस्वीकार्य घटनाक्रम है और इसकी पारदर्शी तथा समयबद्ध तरीके से जांच की जानी चाहिए. इस युवक के कातिलों को कठोर सजा दी जाए.’

एक अधिकारी ने बताया कि आतंकवाद से जुड़े एक मामले में 28 वर्षीय रिज़वान पंडित को गिरफ्तार किया गया था. सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात को उनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने किस मामले के सिलसिले में रिज़वान को हिरासत में लिया था, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है.

पीडीपी नेता नईम अख्तर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रशासन से घटना पर सफाई मांगी है. अख्तर ने ट्वीट किया, ‘अवंतिपुरा के युवक की श्रीनगर के कार्गो कैंप में हिरासत में मौत की परेशान करने वाली खबरें हैं. मीडिया की खबर के मुताबिक, तीन दिन पहले उसे एनआईए ने उठाया था और (एसओजी) के कार्गो कैंप में रखा था. राज्यपाल प्रशासन को इस पर सफाई देनी चाहिए.’

रसायन विज्ञान में एम.एससी, बी.एड किये हुए रिज़वान अवंतिपुरा के साबिर अब्दुल्ला पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्य थे, साथ ही वह अपने घर के पास एक कोचिंग सेंटर भी चला रहे थे.

पुलिस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि एक आतंकी मामले की जांच में संदिग्ध अवंतिपुरा निवासी रिज़वान पंडित को पुलिस हिरासत में लिया गया था, जहां उनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई है. इस मामले में सीआरपीसी की धारा 176 में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए एक मजिस्ट्रियल जांच चल रही है.

दक्षिण कश्मीर के डीआईजी अतुल गोयल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हां, उसे जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हिरासत में लिया था. हमने इसकी मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं.’

रिज़वान को इससे पहले अगस्त 2018 में सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और जम्मू की कोतबलवाल जेल में रखा गया था.

 उनके भाई मुबाशिर ने बताया, ‘अदालत में उनकी बेगुनाही साबित हो गई थी. पीएसए के आरोपों को रद्द करते हुए उन्हें पांच महीने बाद इस साल जनवरी में रिहा कर दिया गया था.’

उन्होंने यह भी बताया कि इतवार रात बिना यूनिफार्म के लोगों ने उनके घर पर छापा मारा. उन्होंने बताया, ‘रात के करीब 11.30 बजे थे… उन्होंने मेरे एक और रिश्तेदार के घर भी छापा मारा. उनके साथ अवंतिपुरा थाने के लोग भी थे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने घर की औरतों को एक कमरे में बंद कर दिया, सबके मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप छीन लिए और घर की तलाशी ली. जब उन्हें कुछ नहीं मिला तो वे रिज़वान को लेकर चले गए.’

जब अगली सुबह उनके घरवाले पुलिस के पास पहुंचे तो कहा गया कि रिज़वान ‘कार्गो’ में है. कार्गो जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन्स ग्रुप (एसओजी) का एक बेस है.

रिज़वान का परिवार ‘जमात ए इस्लामी’ से संबद्ध है, जिसे बीते दिनों राज्य प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित  किया गया है. असदुल्लाह पंडित जमात के सदस्य हैं और केंद्र सरकार के कर्मचारी रहे हैं.

अलगाववादियों के बंद से जनजीवन प्रभावित

रिज़वान की मौत के खिलाफ अलगाववादियों के बंद के दौरान बुधवार को कश्मीर में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ. अलगाववादी समूहों के एक वृहद संगठन ज्वाइंट रेसिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने इसके खिलाफ बंद का आह्वान किया था, जिसके कारण स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद रहे.

उन्होंने बताया कि बंद के चलते दुकानें और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे जबकि सार्वजनिक वाहन सड़कों पर नहीं उतरे. हालांकि कुछ निजी वाहन शहर की सड़कों पर चलते नजर आए.

राज्य प्रशासन ने पंडित की मौत की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है जबकि पुलिस ने मामले में अलग से एक जांच का आदेश दिया है.

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार रिज़वान की मौत के बाद फैले विरोध में शहर में दुकानें बंद कर दी गईं, साथ ही अवंतिपुरा में इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी (आईयूएसटी) की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं.

अवंतिपुरा और आस-पास के इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं. अधिकारियों ने अतिरिक्त सुरक्षाबल भी अवंतिपुरा भेजे हैं.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन स्पष्ट करे कि रिज़वान किसकी हिरासत में था: नेशनल कॉन्फ्रेंस

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को स्पष्ट करना चाहिए कि स्कूल शिक्षक रिज़वान पंडित अपनी मौत के समय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में था या राज्य पुलिस की हिरासत में था. पार्टी ने कहा कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता आगा रूहुल्ला ने श्रीनगर में पत्रकारों को बताया, ‘युवक चाहे एनआईए की हिरासत में था या पुलिस की हिरासत में था, जिम्मेदारी राज्यपाल की है. युवा शिक्षक राज्य की हिरासत में था.’

उन्होंने कहा, ‘शुरुआती खबरों में कहा गया कि वह एनआईए की हिरासत में था, लेकिन अब एनआईए पल्ला झाड़ रही है. चाहे एनआईए या राज्य पुलिस की हिरासत में था, प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए ताकि दोषियों की पहचान की जा सके.’

रूहुल्ला ने आरोप लगाया कि एनआईए जम्मू-कश्मीर में ‘आतंक का उपकरण’ (इंस्ट्रूमेंट ऑफ टेरर) बनती जा रही है. उन्होंने कहा कि एक खास तरह की विचारधारा को बढ़ावा देने और किसी वैकल्पिक विचारधारा को दबाने या उस पर लगाम लगाने के लिए एनआईए का इस्तेमाल किया जा रहा है.

बडगाम से पूर्व विधायक रूहुल्ला ने कहा कि राज्य को इस ‘‘खतरनाक’’ प्रवृत्ति से बचाने के लिए राज्यपाल को कदम उठाने चाहिए.