‘कश्मीर मुद्दे का समाधान हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है’- इस्लामिक सहयोग संगठन

   

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के एक उच्च अधिकारी ने मंगलवार (3 मार्च) कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि इस मुद्दे का समाधान संगठन के एजेंडे में शीर्ष पर है। जम्मू कश्मीर के लिए ओआईसी महासचिव के विशेष दूत युसूफ एम अल दोबे ने यहां पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।

दोबे ने कहा कि कश्मीर की स्थिति को लेकर ओआईसी चिंतित है। सरकारी मीडिया रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक दोबे ने कहा, “कश्मीर का मुद्दा हमारे दिल के काफी करीब है और इसके समाधान के लिए सभी सदस्य एकमत हैं…। कश्मीर और फलस्तीन मुद्दों का समाधान ओआईसी के एजेंडे में शीर्ष पर है।”

दोबे ने कहा कि गत वर्ष भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद पाकिस्तान के अनुरोध पर ओआईसी का एक औपचारिक सत्र बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि महासचिव के लौटने पर उन्हें कश्मीर की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इससे पहले कुरैशी ने कहा कि विशेष दूत दोबे को “कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति” पर जानकारी दी जाएगी।

इससे पहले, फरवरी माह में ही सऊदी अरब ने पाकिस्तान को झटका देते हुए इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) की विदेश मंत्री परिषद (सीएमएफ) की बैठक में कश्मीर मुद्दे पर उनके तुरंत बहस की अपील को खारिज कर दिया था। दरअसल, पाकिस्तान के एक राजनयिक सूत्र ने पहले ही यह जाहिर कर दिया था कि सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) की विदेश मंत्री परिषद (सीएमएफ) की बैठक बुलाने की पाकिस्तान की मांग को पूरा करने में हिचकिचाहट दिखा रही है।

‘डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ओआईसी के सीएमएफ की रूटीन बैठक की तैयारियों के सिलसिले में सऊदी अरब के जेद्दा में नौ फरवरी से ओआईसी के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई थी। इस बैठक से पहले एक राजनयिक सूत्र ने बताया कि सऊदी अरब कश्मीर मुद्दे पर सीएमएफ की बैठक अविलंब बुलाने की पाकिस्तान की मांग को पूरा करने में हिचकिचाहट दिखा रहा है।

ओआईसी में 57 मुस्लिम देश शामिल हैं। पाकिस्तान की चाहत है कि ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक हो जिसमें बीते साल पांच अगस्त को भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के फैसले पर विचार किया जाए। लेकिन, विदेश मंत्रियों की यह बैठक हो नहीं सकी है। ओआईसी ऐसा कोई भी कदम उठाए, इसके लिए सऊदी अरब व खाड़ी के अन्य देशों का समर्थन अनिवार्य है क्योंकि ओआईसी में इन्हीं का दबदबा है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान को सीएफएम बैठक बुलाने के स्थान पर ओआईसी के संसदीय फोरम या मुस्लिम देशों के सदनों के स्पीकर की बैठक करने का सुझाव दिया है जिसमें कश्मीर और फिलिस्तीन के मुद्दे पर बात हो।

गौरतलब है कि एक तरफ जहां तुर्की और मलेशिया ने कश्मीर मुद्दे पर खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया है, वहीं सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने इस पर एहतियात बरती है और भारत के खिलाफ जाकर कुछ नहीं कहा है।