कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनाव में जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश

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भोपाल, 2 फरवरी । मध्यप्रदेश में सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस की कोशिश है कि वह शहर की सरकार पर किसी भी तरह से कब्जा कर ले। यही कारण है कि कांग्रेस नगरीय निकाय के चुनाव में विधायकों पर भी दांव लगाने से परहेज नहीं करेंगी।

राज्य में संभावना इस बात की है कि नगरीय निकाय के चुनाव मार्च माह में हो सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इन चुनावों को लेकर तैयारी में जुटे हुए हैं। पिछले नगरीय निकाय चुनाव में सभी 16 नगर निगमों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी, मगर इस बार कांग्रेस की कोशिश है कि वह नतीजों को पलट दे।

कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव में जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में जुटी है। कमलनाथ सरकार के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन वर्मा भी यह मानते हैं कि नगरीय निकाय चुनाव में जरूरत हुई तो विधायकों को भी चुनाव लड़ाया जा सकता है।

कांग्रेस ने कई विधायक हैं जो नगर निगम के महापौर का चुनाव लड़ना चाहते हैं, इनमें प्रमुख नाम इंदौर से संजय शुक्ला का हैं संभावना इस बात की जताई जा रही है कि पार्टी संजय शुक्ला को इंदौर से महापौर का चुनाव लड़ा सकती है।

एक तरफ जहां कांग्रेस विधायकों को भी नगरीय निकाय चुनाव में मैदान उतारने का मन बना रही है, तो वहीं दूसरी ओर भाजपा की कोशिश है कि जो लोग विधायक हैं, सांसद हैं या सरकार में हिस्सेदार हैं, ऐसे लोगों को नगरीय निकाय चुनाव नहीं लड़ाया जाए। उन लोगों को नगरीय निकाय के चुनाव में मौका दिया जाए जो वाकई में जनाधार वाले हैं और वर्तमान में उनके पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भी जनाधार वाले नेताओं को चुनाव लड़ाने की पहले ही मंशा जता चुके हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस वर्तमान दौर में राज्य में प्रभावशाली चेहरों के संकट के दौर से गुजर रही है और उसके पास नगरीय निकाय चुनाव लिए सक्षम लोग नहीं हैं। यही कारण है कि वह विधायकों को भी चुनाव लड़ाने का मन बना रही है। ऐसा होने पर पार्टी के अंदर असंतोष पनप जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए, जिसका पार्टी को चुनाव में नुकसान भी हो उठाना पड़ सकता है।

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