सबसे कम साक्षरता वाले जिला किशनगंज के एक लाल की जिन्होंने जीवन में काफी संघर्ष के बीच बिहार लोक सेवा आयोग में सफलता हासिल की है. उन्होंने यह मुकाम प्रारंभिक शिक्षा आंगनबाड़ी केंद्र से शुरुआत कर प्राप्त किया.
बिहार के सीमांचल के किशनगंज जिले के एक मुस्लिम परिवार के पांच भाई बहनों में सबसे छोटे हैं असलम दानिश. असलम दानिश को बिहार लोक सेवा आयोग में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. BPSC परीक्षा में असलम ने 232वीं रैंक लाकर ना सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया है बल्कि जिले का नाम भी रोशन किया है. असलम दानिश की मां बहादुरगंज प्रखंड के मुरमाला गांव में आंगनबाड़ी की सेविका हैं और पिता किसान हैं. घर में ही आंगनबाड़ी केंद्र होने से असलम की प्रारंभिक शिक्षा आंगनबाड़ी केंद्र से आरंभ हुई.
फिर गांव के ही सरकारी स्कूल से ही दसवीं तक का पढाई कर दिल्ली के जामिया मीलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस से बीटेक की उच्च शिक्षा प्राप्त की. UPSC प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी आरंभ करने के बीच उन्हें बिहार लोक सेवा आयोग में कामयाबी मिली. असलम के पिता ने बताया कि उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. असलम के लिए कॉपी किताब भी बुक स्टाल से उधार में लेते थे. उन्होंने बताया कि आर्थिक संकट से जूझने के बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नही हारी. असलम की मां का कहना है कि अधिकतर मां पिता को अपने बच्चे के प्रति मोह माया रहता है और अपने बच्चे के करियर की फ़िक्र तो करते है लेकिन उसे उच्च शिक्षा के लिए बाहर पढने नही भेजते हैं.
असलम दानिश अब असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ स्टेट टैक्स के पद पर अपनी सेवाएं देंगे. असलम दानिश ने बताया कि बचपन में उन्हें अपने मामा से प्रेरणा मिली थी जो आज भी बिहार प्रशासनिक सेवा में हैं. असलम ने बताया कि बिहार बोर्ड के बाद जामिया मीलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दाखिला हो गया था. वहां की पढाई इंग्लिश मीडियम में होने से शुरूआती दौर में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा बाद में धीरे धीरे सब ठीक हो गया. असलम ने सफलता की कुंजी अपनी पढाई के प्रति ईमानदारी से मेहनत को बताया. असलम ने कहा कि UPSC में कामयाबी हासिल करने के लिए वो तैयारी करते रहेंगे.