कृष्णानंद राय हत्याकांड में आए फैसले पर हाईकोर्ट में अपील करेगी यूपी सरकार

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कृष्णानंद राय हत्याकांड में आए फैसले पर यूपी सरकार ने कहा है कि वो फैसले को पढ़ने के बाद हाईकोर्ट में अपील करेगी. इससे पहले दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत ने मुख्तार अंसारी समेत सभी पांच आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर गंभीर रुख अपनाया है. यूपी सरकार ने साफ कहा कि फैसला पढ़ने के बाद हाईकोर्ट में अपील की जाएगी.

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या साल 2005 में हुई थी जिसका आरोप मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी समेत कुल 5 लोगों पर लगा था.

हालांकि मुन्ना बजरंगी की कुछ वक्त पहले जेल में हत्या कर दी गई थी लेकिन यह मामला पिछले करीब 14 साल से अदालत में चल रहा था. मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर की गई थी जिससे कि निष्पक्ष तरीके से सुनवाई हो सके. लेकिन घटना के 14 साल बाद जब अदालत का फैसला आया तो अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया.

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट से 2002 में बीजेपी ने कृष्णानंद राय को उम्मीदवार बनाया जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद से ही मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय में दुश्मनी बढ़ने लगी. जानकरी के मुताबिक यूपी टास्क फोर्स ने कृष्णानंद राय को आगाह किया था कि उनकी हत्या का प्रयास हो सकता है.

 

एक समारोह से लौटते हुए साल 2005 में कई हथियार बंद लोगों ने कृष्णानंद राय के काफिले पर एके-47 और कई ऑटोमैटिक हथियार से हमला किया. जिसमें राय और उनके कुल 6 साथियों की हत्या कर दी गई थी. हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं. मारे गए 7 लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गईं इतना ही नहीं मुखबिरी इतनी सटीक थी कि अपराधियों को पता था कि कृष्णानंद राय अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ी में नहीं हैं.

 

विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की एक साथ हत्या से तब गाजीपुर ही नहीं बल्कि पूरे यूपी और बिहार में भी हड़कंप मच गया था. हत्याकांड के विरोध में लगभग एक हफ्ते तक गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, वाराणसी में आगजनी, तोड़फोड़ और आंदोलन चलते रहे थे. घटना के बाद राजनाथ सिंह ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर अनशन भी किया था और उसी दौरान अटल बिहारी वाजपेई वाराणसी पहुंचे थे और हत्याओं के खिलाफ न्याय यात्रा को रवाना किया था.

कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई के लिए जरूरी है कि मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए. जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी. इसके बाद में अलका राय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केस की सुनवाई उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की. याचिका में आशंका व्यक्त की गई थी कि क्योंकि आरोपियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है ऐसे में मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती. अलका राय कि याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश से दिल्ली में ट्रांसफर कर दी थी.