केंद्रीय मंत्री का विवादित बयान- यूपी के छात्रों को 10% आरक्षण दे दो, जामिया-जेएनयू का इलाज कर देंगे

   

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में मेरठ में भाजपा ने रैली का आयोजन किया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कई केंद्रीय मंत्री भी मौजद रहे। इस सभा में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी मौजूद थे। उन्होंने अपने संबोधन में राजनाथ सिंह से मांग की जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में पश्चिम उत्तर प्रदेश के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिलवा दें तो देश के विरोध में नारे लगाने वालों का इलाज कर दिया जाएगा।

देश के विरोध में जो नारे लगाते हैं, उनका इलाज एक ही है

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने मेरठ में सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं राजनाथ जी से निवेदन करूंगा जो जेएनयू, जामिया में देश के विरोध में नारे लगाते हैं, इनका इलाज एक ही है। पश्चिम उत्तर प्रदेश का वहां 10 प्रतिशत आरक्षण करवा दो, सबका इलाज कर देंगे, किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी’।

संजीव बालियान ने आगे कहा कि वहां कोई नारा नहीं लगा पाएगा। ये उनको भी संदेश है, जो इस कानून का विरोध करते हैं। जब देश आजाद हुआ 7 करोड़ मुसलमान थे। अब 20 प्रतिशत हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश में 50 प्रतिशत। तो हिंदू 23 प्रतिशत से 3 प्रतिशत और मुसलमान 7 प्रतिशत से 40 प्रतिशत। अंतर इतना बड़ा है, अपने आप देख लें।

सीएए को लेकर विरोधी भ्रम फैला रहे हैं: राजनाथ

रैली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के मुसलमान को कोई चिमटे से भी नहीं छू सकता जबकि उन्‍होंने विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस पर तीखे हमले करते हुए कहा कि सीएए को लेकर विरोधी भ्रम फैला रहे हैं, लेकिन जनता अब उनकी हकीकत जान चुकी है। जनजागरण रैली को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा कि भारत के मुसलमान को कोई भी नहीं छू पाएगा और अगर कोई ऐसा करता है तो पीड़ित उनके पास आएं। यही नहीं, रक्षा मंत्री ने अपनी सरकार का बखान करते हुए ये भी कहा कि अनुच्छेद-370 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटकी बजाकर समाप्त कर दिया।

एनपीआर को लेकर कही ये बात

सभा के दौरान राजनाथ सिंह ने सवाल करते हुए कहा कि क्या नागरिकों का रजिस्टर नहीं होना चाहिए। सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए डॉक्यूमेन्ट होना चाहिए या नहीं। इस सवाल पर उनको भरपूर समर्थन मिला। साथ ही उन्‍होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यक जलालत की ज़िंदगी जी रहे हैं।