केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पढ़ा कलमा! विडियो वायरल, हो रहे हैं ट्रोल

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नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का एक पुरानी वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में पीयूष गोयल मंच से कहते हुए दिख रहे हैं कि मैं रोज सुबह पूजा करने से पहले कलमा पढ़ता हूं। गोयल मंच से कलमा पढ़कर भी सुना रहे हैं- ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह।

दरअसल सोशल मीडिया में तालीम की ताकत नाम के किसी कार्यक्रम का 56 सेकेंड का एक वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। वीडियो क्लिप में दिख रहा है कि मंच पर कुछ मुस्लिम समाज के लोग बैठे हुए हैं जिनमें जफर सरेशवाला भी हैं। पीयूष गोयल डाइस से अपना भाषण दे रहे हैं। अपनी बात रखते हुए पीयूष गोयल ने कहा-पीयूष गोयल इसी पहले कलमे पर ट्रोल हो रहे हैं. उनका एक पुराना वीडियो वायरल हुआ है. इसमें पीयूष गोयल ‘तालीम की ताक़त’ नाम के एक प्रोग्राम में शरीक हुए थे. मंच पर बोल रहे थे. इस मौके पर दिए गए उनके भाषण का एक छोटा हिस्सा सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है.

इसमें पीयूष गोयल कह रहे हैं- अभी-अभी आपने कहा कि मैंने कुराण पढ़ी है. तो बैठे-बैठे याद आ गया. तो मैंने ज़फर भाई की परमिशन ली है मैंने कि अगर शुरुआत कर सकूं उस छोटे वाक्य से जो मैंने तब सीखा था और जो मेरे मन में ऐसा बैठ गया है कि रोज सुबह जब मैं पूजा करता हूं उसमें मैं वो वाक्य भी साथ में जोड़ता हूं. ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मद रसूल अल्लाह. और वास्तव में सभी धर्मों की जो ताकत है वो यही ताकत है कि जब हम सब अमन और शांति से एक-दूसरे के साथ मिलकर चलते हैं तब ही पूरे देश का निर्माण होता है. तब ही ऐसा बढ़िया माहौल बनता है.

Watch this video from 2016. BJP’s Piyush Goyal starts his day with reading this Kalma during his morning pooja.
pic.twitter.com/ByIjr3q4tI

— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) July 22, 2019

पीयूष गोयल का ये वाला पूरा भाषण आप इस लिंक पर सुन सकते हैं-

मुस्लिम मानते हैं कि कलमा बोलना अल्लाह को स्वीकार करना है. पहला कलमा चूंकि ये कहता है कि अल्लाह के सिवाय दूसरा कोई ईश्वर नहीं, तो इसे पढ़ने का मतलब है कि आपने इस्लाम अपना लिया. आप मुसलमान हो गए. शायद इसी वजह से कट्टर हिंदू पीयूष गोयल के कहे से भड़के हुए हैं. कई लोग पीयूष की कही इस बात को सहन नहीं पा रहे कि वो पूजा करते समय पहला कलमा पढ़ते हैं. कई सवाल कर रहे हैं कि क्या बीजेपी भी ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ करने लगी है? कई लिख रहे हैं कि अगर पीयूष सच कह रहे हैं, तो ‘हिंदुओं’ को बीजेपी पर भरोसा नहीं करना चाहिए. ज्यादातर नाराज़गी वाले पोस्ट्स का शायद एक बड़ा कारण बीजेपी के साथ जुड़ी कट्टर हिंदुत्व की छवि भी है.

बता दें कि‘तालीम की ताक़त’ एक अभियान है. 2015 में इसे उत्तर प्रदेश में यूनिवर्सिटी जाने वाले मुस्लिम युवाओं के लिए शुरू किया गया था. शुरू करने वाले थे ज़फर सरेशवाला. वो हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे उस समय. प्रधानमंत्री मोदी के भी करीबी माने जाते हैं वो. 23 अगस्त, 2015 को उन्होंने मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से इस कैंपेन की शुरुआत की थी.

उस समय आई ख़बरों के मुताबिक, ये कैंपेन 2017 तक चलना था. ज़फर ऐसा ही एक कार्यक्रम महाराष्ट्र में भी कर चुके थे. इस प्रोग्राम के पीछे एक बड़ी मंशा 2017 में होने वाला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव था. कैंपेन के पीछे सोच थी मुस्लिम समाज को बीजेपी के साथ लाना. उन्हें मोदी सरकार द्वारा किए गए ‘अच्छे’ कामों की जानकारी देना. इसमें मुस्लिम युवाओं के साथ बाबरी मस्जिद, समान आचार संहिता और आरक्षण जैसे विषयों पर संवाद कायम करने की योजना थी. ‘तालीम की ताक़त’ में बीजेपी के बड़े नेता भी शामिल होते थे.