केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जमीन की खरीद के लिए कानून में बदलाव कर अब सभी भारतीयों के लिए ज़मीन खरीदने के रास्ते खोल दिए हैं। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद बिक्री के संबंध में मंगलवार को महत्वपूर्ण सूचना जारी की है। मंत्रालय द्वारा जारी किए गए निर्देश के मुताबिक अब केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकता है और वहां बस सकता है। हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी।
गृह मंत्रालय ने ये फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत लिया है। इसके तहत अब कोई भी भारतीय जम्मू कश्मीर में फैक्टरी, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है। इसके लिए उसे किसी भी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की जरूरत नहीं होगी। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में सिर्फ वहां के निवासी ही जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकते थे। मोदी सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक अब बाहर के लोग भी यहां जमीन खरीद सकते हैं।
राजनीतिक दलों ने किया विरोध
हालांकि यह प्रदेश के राजनीतिक दलों को गंवारा नहीं है। वे इसके विरोध में उतर आए हैं। फिलहाल नेशनल कांफ्रेंस और अपनी पार्टी ने इस अध्यादेश के विरुद्ध आवाज बुलंद की है। प्रदेश में इस आदेश का विरोध होना शुरू हो गया है। इस अध्यादेश के प्रति पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जताई है। भाजपा समर्थक समझी जाने वाली ‘अपनी पार्टी’ में भी विरोध के स्वर नजर आने लगे हैं। उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने ट्वीट किया कि जम्मू-कश्मीर में जमीन के मालिकाना हक से संबंधित कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वह अस्वीकार्य हैं। अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए स्थानीयता का सबूत भी नहीं देना होगा। अब जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार है, जो गरीब जमीन का मालिक है अब उसकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। कई राजनीतिक दलों से एकत्र किए गए नेताओं से बनी हुई अपनी पार्टी भी इसके विरोध में नजर आ रही है। अपनी पार्टी के अध्यक्ष सईद मुहम्मद अल्ताफ बुखारी ने कहा है कि वे नौकरियों के साथ-साथ जमीन पर भी डोमिसाइल हक चाहते हैं। उनका कहना था कि वे इसका विरोध करते हुए लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।