केयर्न ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता पर भारत के साथ कई प्रस्तावों पर चर्चा की

   

नई दिल्ली, 21 फरवरी । केयर्न इंडिया ने एक ऐसे त्वरित समाधान तलाशने के उद्देश्य से कई प्रस्तावों पर चर्चा की है जो भारत सरकार और केयर्न के शेयरधारकों के हितों के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य हो सकते हैं।

ब्रिटेन-इंडिया द्विपक्षीय निवेश संधि की शर्तों के तहत गठित और हेग स्थित एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ने सभी पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले में निर्णायक फैसला सुनाया और केयर्न के पक्ष में अंतिम और बाध्यकारी निर्णय जारी किया। इसमें 1.2 अरब डॉलर मूल्य की परिसंपत्ति को ब्याज और लागत सहित लौटाने का आदेश दिया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि यह मामला ब्रिटेन-भारत संधि के अधिकार क्षेत्र में आता है।

केयर्न ने भारत में अरबों डॉलर का निवेश किया है। रोजगार का सृजन करने और स्थानीय लोगों को लाभ पहुंचाने का इसका एक लंबा और सफल इतिहास रहा है।

केयर्न का कहना है कि भारत में हमने जो व्यवसाय बनाया है, उससे सरकार को राजस्व में 20 बिलियन डॉलर से अधिक की आय हुई है। 2014 में नए कर उपायों को लागू करने के फलस्वरूप हमारी संपत्तियों के कुर्क होने के मद्देनजर सभी पक्षों पर इसका बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा। बहरहाल, हम इन सब बातों को पीछे छोड़कर सकारात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहते हैं।

केयर्न ने आगे कहा कि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में हमारी सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक चर्चा हुई है। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के तहत बिना किसी पूर्वाग्रह के हमने कई प्रस्तावों पर चर्चा की। यह प्रस्ताव भारत सरकार और केयर्न के शेयरधारकों के हितों के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य हो सकता है।

इसने आगे कहा कि इस तरह के संकल्प को प्राप्त किया जा सकता है। हम भारत में निवेश करने के लिए आगे के अवसरों पर आगे बढ़ने में सक्षम होने के लिए तत्पर हैं। हम उम्मीद करते हैं कि एक परस्पर स्वीकार्य समाधान मिल सकता है।

Disclaimer: This story is auto-generated from IANS service.