शुक्रवार को केरल सरकार ने देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित तीन प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बारों में पहले पन्ने पर एक ऐड दिया है. इस ऐड में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की तस्वीर छापी है और लिखा गया है, हम पहले हैं
शुक्रवार को केरल सरकार ने देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित तीन प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बारों में पहले पन्ने पर एक ऐड दिया है. इस ऐड में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की तस्वीर छापी है और लिखा गया है, हम पहले हैं (we are one, first)
इस ऐड में आगे सरकार ने विस्तार से बताया है कि केरल पहला राज्य है जिसने CAA का विरोध किया. उसे खारीज करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया. इसके साथ ही ऐड में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने NPR की कार्रवाई को भी फ़िलाहल रोक दिया है.
आपको बता दें कि 31 दिसंबर को केरल विधानसभा ने प्रस्ताव पारित कर नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को रद्द करने की मांग की थी.
इसी के साथ केरल सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य बन गया था.
संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के पारित होने और क़ानून बनने के बाद पश्चिम बंगाल जैसे कुछ ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों ने कहा था कि वो सीएए को अपने यहां लागू नहीं करेंगे. लेकिन केरल पहला राज्य है जिसने इस क़ानून के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पास करके अपना विरोध दर्ज करवाया था.
वहीं सरकार का कहना है कि नागरिकता केंद्र का विषय है, ऐसे में राज्य सरकारें ये नहीं कह सकती हैं कि वो अपने यहां सीएए लागू नहीं करेंगी.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश करते हुए कहा था कि सीएए ‘धर्मनिरपेक्ष’ नज़रिए और देश के ताने बाने के ख़िलाफ़ है. इसमें नागरिकता देने से धर्म के आधार पर भेदभाव होगा.
केरल सरकार की ओर से जारी किए गए ऐड में कहा गया है कि केरल ह्यूमन इंडेक्स में पहले नंबर पर है. शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के बेहतर मौक़ों को उपलब्ध करवाने में सरकार देशभर में पहले नंबर है. इसके साथ ही देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाने के मामले में भी केरल पहला राज्य बन गया है.
सीएए क्या है?
संसद के दोनों सदनों से पारित और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद नागरिकता (संशोधन) क़ानून (सीएए) बना.
इसके विरोध की शुरुआत उत्तर-पूर्व के राज्यों से हुई. इसका व्यापक असर बीजेपी शासित असम में देखा गया. वहां पुलिस की कार्रवाई में चार लोगों की मौत हो गई थी.
धीरे-धीरे सीएए का विरोध पूरे देश में होने लगा. बीते दिसंबर की 20 तारीख को इस कानून और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में उत्तर प्रदेश के कई राज्यों में हुआ प्रदर्शन उग्र हो गया. इस दौरान पुलिस की कार्रवाई में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई.
नागरिकता (संशोधन) क़ानून का विरोध करने वाले इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ मान रहे हैं. उनका कहना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए नागरिकता भी धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती है.
नया नागरिकता कानून कहता है कि 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से धार्मिक भेदभाव का शिकार होकर भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी.