राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) ने शुक्रवार को कैंसर के उपचार में उपयोग होने वाली 390 दवाओं की नई एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) लिस्ट जारी की है। एनपीपीए ने इन दवाओं की कीमतों में 87 प्रतिशत तक की कटौती की है। एनपीपीए ने 38 दवाओं की कीमत में 75 प्रतिशत की कटौती की है।
इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, कैंसर की 426 दवाओं में से 390 दवाओं, जो कुल दवाओं का 91 प्रतिशत है, की कीमतों को कारोबारी मुनाफे को तार्किक बनाने के जरिये घटाया है। ऐसा अनुमान है कि कीमतों में कटौती के बाद मरीजों को लगभग 800 करोड़ रुपए की बचत होगी।
इससे पहले 27 फरवरी को असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण ने एक अधिसूचना में एनपीपीए ने कहा है कि कैंसर की कुछ दवाओं पर मुनाफा 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं लिया जा सकता है।
कैंसर के इलाज में काम आने वाली 42 गैर अनुसूचित दवाएं अब मूल्य नियंत्रण के दायरे में आ गई हैं। कैंसर रोधी 57 दवाएं पहले ही मूल्य नियंत्रण के दायरे में हैं। कारोबारी मुनाफे पर लगाम वाले 355 ब्रांड अब मूल्य नियंत्रण के दायरे में होंगे।
कारोबारी मुनाफे को तार्किक बनाने के लिए बनी विशेषज्ञों की समिति ने 42 कैंसर रोधी दवाओं का मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाने की सिफारिश की थी, जिसके बाद एनपीपीए ने यह कदम उठाया है। समिति ने पाया था कि दवाओं पर मुनाफा 1800 प्रतिशत तक लिया जा रहा है।
नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी विनोद पाल इस समिति के सदस्य हैं। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार, स्वास्थ्य शोध विभाग, एनएलईएम समिति के वाइस चेयरमैन, डीआईपीपी के संयुक्त सचिव के अलावा अन्य अधिकारी इस समिति में शामिल हैं।
समिति में डीआईपीपी की भूमिका यह सुनिश्चित करने की होगी कि हम किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते की अवहेलना नहीं कर रहे हैं। समिति ऐसी और दवाओं को चिह्नित करेगी, जिन पर कारोबारी मुनाफा बहुत ज्यादा है।