कोरोना काल में शिवराज ने दिखाई नई राह

   

भोपाल 16 मई । कोरोना संक्रमण ने एक तरफ जहां बुजुर्गों से उनका सहारा इस बीमारी ने छीन लिया है तो वही बच्चों के सिर पर से साया छिन गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने अनाथ हुए बच्चों के लिए निशुल्क पढ़ाई लिखाई की सुविधा मुहैया कराने के साथ 5000 हजार रुपये मासिक की पेंशन का ऐलान किया है। यह घोषणा अन्य लोगों के लिए नजीर बन गई है। छत्तीसगढ़ सरकार भी इसी राह पर चली है और महाराष्ट्र में शिवसेना के मुखपत्र सामना ने शिवराज के इस फैसले की सराहना की गई है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कोविड से अनाथ हुए बच्चों के लिए प्रदेश में विशेष योजना बनाई है। इसमें ऐसे बच्चों को प्रति परिवार प्रतिमाह पांच हजार रूपए की राशि पेंशन के रूप में दी जाएगी। साथ ही इनकी निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था सरकार करेगी। उन्हें निशुल्क राशन भी दिया जाएगा। बच्चों के पिता की मृत्यु पर माता को काम-काज के लिए सरकार जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिलवाएगी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने भी बीमारी के शिकार हुए परिवारों के बच्चों के लिए योजना का ऐलान किया है। ऐसे बच्चे जिन्होंने अपने माता-पिता को इस वित्तीय वर्ष के दौरान कोरोना के कारण खो दिया है, उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च अब छत्तीसगढ़ सरकार उठाएगी। साथ ही पहली से आठवीं तक के ऐसे बच्चों को 500 रुपये प्रतिमाह और नवमीं से 12 वीं तक के बच्चों को 1000 रुपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति भी राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी। शासकीय अथवा प्राईवेट किसी भी स्कूल में पढ़ाई करने पर ये बच्चे इस छात्रवत्ति के लिये पात्र होंगे।

महाराष्ट मंे सत्ताधारी दल शिवसेना के मुखपत्र सामना ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनाथ बच्चों के संदर्भ में लिए गए फैसले की सराहना करते हुए लिखा है, मध्य प्रदेश सरकार ने शेष देश को मानवता का मार्ग दिखाया है। फैसले से पता चलता है कि राजनीतिक नेताओं में अब भी मानवता बची है।

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