मांसाहारी भोजन से कोरोना वायरस के फैलने की अफवाह ने पोल्ट्री, फीस और मीट कारोबार को चौपट कर दिया है। इससे अकेले पोल्ट्री उद्योग को रोजाना डेढ़ से दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। जबकि चिकन, मीट और मत्स्य उद्योग की सप्लाई चेन में लगे करोड़ों लोगों के रोजगार पर संकट के बादल छा गए हैं।
इससे चिंतित सरकार ने स्पष्ट किया है कि चिकन, मीट व फिश खाने से कोरोना वायरस नहीं फैलता है। केंद्रीय पशुपालन, पोल्ट्री और मत्स्यपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने इसके समर्थन में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मांसाहारी भोजन से कोरोना वायरस के फैलने की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
चिकेन, अंडा, मीट, समुद्री उत्पाद और मछली खाने से कोरोना वायरस नहीं
केंद्रीय मंत्री सिंह ने शुक्रवार को जोर देकर लोगों से इस तरह की अफवाह पर ध्यान न देने की अपील की। उन्होंने कहा कि चिकन, अंडा, मीट, समुद्री उत्पाद और मछली खाने से कोरोना वायरस नहीं फैलता है। सिंह ने विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के साथ भारतीय खाद्य सुरक्षा नियामक (एफएसएसएआइ) की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि पशुओं से मानव में कोरोना वायरस नहीं फैलता है, जिसकी वैज्ञानिक पुष्टि हो चुकी है।
रोजाना डेढ़ से दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान
केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और पोल्ट्री राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान ने बताया कि सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से फैली इस तरह की अफवाह से रोजाना डेढ़ से दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। थोक में चिकन बेचने वालों को पहले के मुकाबले मात्र एक-चौथाई मूल्य मिल पा रहा है। लेकिन हैरानी यह है कि खुदरा मूल्य में कोई खास गिरावट नहीं दिख रही है। इससे बड़ी बात यह हुई जिंस बाजार में मक्का व सोयाबीन की मांग में भारी कमी आई है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। इन जिंसों की मांग पोल्ट्री फीड में होती है।