कोविड-19 की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के साथ भारत लौटने लगे नेपाली श्रमिक

   

नई दिल्ली, 8 जून । भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान नए संक्रमण के मामले दो महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं देश के विभिन्न हिस्सों में लगाया गया लॉकडाउन भी अब धीरे-धीरे खुलने लगा है। इस बीच नेपाली श्रमिकों ने काम और आजीविका के लिए भारत आना शुरू कर दिया है।

काठमांडू पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नेपाल में दूसरी लहर के कारण लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध के बावजूद, नेपाली प्रवासी श्रमिक उत्तर प्रदेश में त्रिनगर-गौरीफंटा सीमा के माध्यम से भारत वापस जा रहे हैं। आवाजाही और परिवहन पर प्रतिबंध के कारण, वे अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए अधिक किराए का भुगतान कर रहे हैं।

अखबार ने सीमा पर नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल का हवाला देते हुए कहा कि औसतन लगभग 300 प्रवासी श्रमिक प्रतिदिन भारत वापस जा रहे हैं। भारत में जब अप्रैल महीने में कोविड-19 की दूसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू किया था, तब यह श्रमिक भारत छोड़कर अपने घरों को लौट आए थे। घातक दूसरी लहर के शुरूआती दिनों में लगभग 27,000 नेपाली कामगार घर आ गए थे।

कुछ ही महीनों के भीतर, 9,000 से अधिक लोग काम और नौकरी की तलाश में भारत वापस आ गए हैं। सशस्त्र पुलिस बल के पुलिस निरीक्षक लक्ष्मण जोशी ने कहा कि 9,000 से अधिक नेपाली कामगार पहले ही भारत में आ चुके हैं।

भारत आने वाले ज्यादातर लोग गांवों से आते हैं, जहां बहुत कम काम होता है। उनमें से कुछ काम के लिए भारत के भीतर महाराष्ट्र तक जाते हैं।

अपनी कहानी बताते हुए, गांव कैलाली के दिल बहादुर सऊद ने कहा, गांवों में रोजगार के कोई साधन नहीं है। हमें जीवन चलाने के लिए काम करना है, महामारी हो या नहीं। अन्यथा, हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कर्मचारी अभी भी घर पर हैं, वे भी भारत वापस जाने की योजना बना रहे हैं। जब उन्हें पता चला कि चीजें स्थिर हो गई हैं, वे अब दोबारा से काम पर लौटने की योजना बना रहे हैं।

भारत और नेपाल लगभग 1,850 किलोमीटर लंबी खुली सीमा साझा करते हैं। सीमा के अलावा, दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संपर्क के साथ गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं। दोनों देशों ने अपने नागरिकों को सीमा पार स्वतंत्र रूप से आने-जाने और काम करने की अनुमति दी है। नेपाली लोग कम से कम दो शताब्दियों से रोजगार के लिए भारत आ रहे हैं।

भारत में काम करने वाले नेपालियों की संख्या के बारे में अनुमान अलग-अलग हैं। काठमांडू में भारतीय दूतावास का कहना है, लगभग 80 लाख नेपाली नागरिक भारत में रहते हैं और काम करते हैं। हालांकि, अन्य अनुमानों में यह संख्या 30 लाख बताई जाती है।

अधिकांश नेपाली अनौपचारिक क्षेत्र में निर्माण और कृषि क्षेत्रों में मजदूरों के रूप में, सुरक्षा गार्ड, रसोइया और विभिन्न प्रकार के आकस्मिक श्रमिकों के रूप में काम करते हैं। कई अन्य ने छोटे व्यवसाय या भोजनालय स्थापित किए हैं, जिसके माध्यम से वे नेपाल में अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।

2019 के अंत में चीन में शुरू हुए और दुनिया के बाकी हिस्सों को बुरी तरह से संक्रमित करने वाले कोरोनावायरस संकट ने भारत में नेपाली श्रमिकों को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

भारत में 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान, लॉकडाउन और संक्रमण के डर से लाखों नेपाली घर वापस चले गए थे। चूंकि भारत पहली लहर को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सक्षम था, उनमें से अधिकांश काम पर वापस लौट आए थे।

नेपाल के अखबार, नेपाली टाइम्स ने पाया कि प्रवासियों ने विश्वास व्यक्त किया है कि उनके रिश्तेदारों और अच्छी तरह से स्थापित नेटवर्क के माध्यम से उन्हें भारत में काम का पता लगाने और काम में बदलाव को लेकर चीजों का पता चल जाता है।

हालांकि इनमें से कुछ श्रमिक खाड़ी देशों या यहां तक कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में काम कर सकते थे, मगर वे वीजा प्रतिबंधों और उड़ान प्रतिबंधों के कारण उड़ान भरने में असमर्थ हैं। उनके लिए भारत अभी भी सुलभ है और उनमें से कई लोगों के पास आधार कार्ड जैसे भारतीय दस्तावेज भी हैं, जो काम में एक निश्चित आसानी प्रदान करते हैं।

एक बार फिर नेपाली कामगारों ने विश्वास दिखाया है कि वे भारत में काम और आजीविका पा सकेंगे। जैसे कि अब भारत में दूसरी लहर कमजोर पड़ने लगी है और साथ ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और नेपाल अभी भी दूसरी लहर से जूझ रहा है, कई आशावादी कामगार अपने बड़े दक्षिणी पड़ोसी देश में वापस आने लगे हैं।

(यह आलेख इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत प्रस्तुत है)

–इंडिया नैरेटिव

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