खौलती चाय के शौकीनों को एसोफैगल कैंसर का जोखिम अधिक होता है। ईरान में 13 साल लंबी स्टडी कुछ ऐसी बातों को उजागर करती है। वहीं कुछ जानकार मानते हैं कि बेहतर है कि लोग बहुत गर्म पेय लेने से बचें। मेडिकल साइंस अब तक कैंसर के तमाम कारणों का पता लगा चुकी है।
इन कारणों में शराब पीना, सिगरेट, मोटापा जैसी कारणों को अहम माना जाता है। इस बीच ईरान की तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के रिसर्चरों ने कैंसर के एक अन्य कारण की पुष्टि की है।
इस स्टडी में कहा गया है कि ऐसे लोग जो 60 डिग्री से अधिक तापमान पर मिलने वाली चाय, कॉफी जैसे किसी पेय का सेवन करते हैं, उनमें एसोफैगल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
एसोफैगल कैंसर यानि आहारनली में होने वाला कैंसर. आहारनली गले से पेट तक खाना ले जाने वाली एक लंबी खोखली ट्यूब होती है। यह निगले गए भोजन को पचाने के लिए पेट तक ले जाने का काम करती है।
ईरानी शोधकर्ताओं ने साल 2004 से 2017 के बीच चले 13 साल लंबे अध्ययन में 50 हजार पुरुष और महिलाओं की जांच की। ये सभी लोग ईरानी प्रांत गुलिस्तान से आते थे।
रिसर्च के दौरान 317 मामले एसोफैगल स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (ईएससीसी) थे, यह एसौफगल का आमतौर पर होने वाला एक प्रकार है। वैज्ञानिकों ने पाया जो लोग 700 मिलीलीटर या इससे अधिक मात्रा में 60 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाली चाय पीते हैं उन लोगों में ईएससीसी का जोखिम 90 फीसदी तक होता है।
तेहरान यूनिवर्सिटी की स्टडी पुराने संदेहों की भी पुष्टि करती है। साल 2016 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने बहुत गर्म पेय को कैंसर के कारण होने का अंदेशा जताया था।
एजेंसी ने खास तौर पर कहा था कि 65 डिग्री सेल्सियस तापमान का गर्म पेय खासकर चाय जिसे दक्षिण अमेरिका, एशिया और अफ्रीका में पारंपरिक रूप से पिया जाता है कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
लेकिन अब इस नई स्टडी के बाद क्या ये माना जा सकता है कि शराब या सिगरेट के मुकाबले चाय अधिक खतरनाक है? जर्मनी के विशेषज्ञ गर्म पेयों को किसी खतरे के रूप में नहीं देखते हैं।
जर्मन प्रांत बाडेन वुर्टेमबर्ग के इंटरनल मेडिसिन क्लीनिक के मेडिकल डायरेक्टर थोमास स्योफरलाइन पिछले 20 सालों से एसोफैगल कैंसर का इलाज कर रहे हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने अब तक किसी ऐसे मरीज को नहीं देखा जिसे गर्म पेय पीने के चलते कैंसर हुआ हो।
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी