क्या सऊदी अरब में कठोर नियमों के तहत मानवधिकार कार्यकर्ताओं का दमन किया जा रहा है?

   

ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी अरब से मानवाधिकार कार्यकर्ता की तुरंत रिहाई की मांग की है। मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी सरकार से मानवाधिकार कार्यकर्ता वलीद अबुल ख़ैर की तुरंत रिहाई की मांग की है।

सऊदी सूत्रों के हवाले से इरना के अनुसार, ह्यूमन राइट्स वॉच में पश्चिम एशिया व उत्तरी अफ़्रीक़ा मामलों के अधिकारी माइकल पेज ने सोमवार को कहा कि वलीद अबुल ख़ैर का जेल में हर नया दिन, इस बात की याद दिलाता है कि युवराज मोहम्मद बिन सलमान के सुधारवादी कार्यक्रम निरर्थक और जनमत को धोखा देने के लिए हैं।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में कठोर नियम के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दमन यह दर्शाता है कि सऊदी सरकार राजनैतिक सुधार के प्रति पाबंद नहीं है। ग़ौरतलब है कि वलीद अबुल ख़ैर को सऊदी अरब में मानवाधिकार की स्थिति की आलोचना करने पर 2014 में 15 साल के लिए क़ैद की सज़ा दी गयी है।

इससे पहले अब्दुल्लाह हामिद, मोहम्मद फ़हद अलक़हतानी और वलीद अबुल ख़ैर को सऊदी अरब में अत्याचारी व्यवस्था में सुधार के लिए साहस भरे प्रयास के लिए, अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। इस समय ये तीनों लोग सऊदी अरब में जेल में बंद हैं।

रियाज़ सरकार ने मोहम्मद बिन सलमान की निगरानी में अप्रैल 2017 से इस देश में विरोधियों और कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी की प्रक्रिया तेज़ कर दी है। सऊदी सरकार सितंबर 2017 से अब तक 250 के क़रीब बुद्धिजीवियों, धर्मगुरुओं, नागरिक कार्यकर्ताओं, शायरों, अर्थशास्त्रियों और राजनैतिक विरोधियों को गिरफ़्तार करके जेल में डाल चुकी है। हालांकि उसके इस क़दम की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना हो रही है।