गुजरात सरकार ने सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने में लगाई ‘शर्त’, जनता ने किया विरोध

   

सवर्ण आरक्षण देने को लेकर देश के विभिन्न राज्यों ने कदम उठाना शुरू कर दिया है. केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पास किए गए इस नए कानून को सबसे पहले भाजपा शासित राज्य गुजरात ने लागू किया है. लेकिन गुजरात सरकार ने कानून को लागू करने के साथ ऐसी शर्त लगा दी है कि आम जनता और विपक्षी दलों ने इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है. दरअसल, गुजरात की सरकार ने कहा है कि 1978 के बाद राज्य में बसे लोगों को सामान्य वर्ग के तहत आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में दस फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. इस पहल का उद्देश्य शिक्षा और नौकरियों में गुजरातियों को प्राथमिकता देना और उनके हितों की रक्षा करना है.

बहरहाल, विपक्षी दल कांग्रेस और राज्य में बस चुके दूसरे राज्यों के लोगों ने गुजरात सरकार के इस कदम का विरोध किया है. गुजरात देश का पहला राज्य है जिसने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए शिक्षा और नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण का नियम लागू किया है. राज्य सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि सामान्य वर्ग में दस फीसदी आरक्षण ऐसे लोगों को हासिल होगा जिनका परिवार 1978 से राज्य में निवास कर रहा हो. गुजरात सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए उत्तर भारतीय विकास परिषद् के अध्यक्ष महेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि गुजरात में चार दशक से रह रहे लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाना ‘‘अन्याय’’ है. कुशवाहा ने कहा, ‘‘41 वर्ष काफी लंबा वक्त होता है. 1978 से पहले आए कई लोग मर चुके होंगे. यह हमारे साथ अन्याय है. उन लोगों के बारे में क्या जो यहां 20, 30 या 40 वर्ष पहले आए और स्थायी रूप से बस गए? उन्हें शामिल क्यों नहीं किया गया? दस वर्षों का मापदंड होना चाहिए था.’’

इधर, गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने कहा कि इस मापदंड को लागू करने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि निवास का नियम पहले से मौजूद है. इसके तहत कोई भी व्यक्ति राज्य का निवासी बन जाता है अगर उसका जन्म यहां हुआ है या दस वर्षों से अधिक समय से यहां रह रहा है. बहरहाल, आगामी कुछ महीनों में देश में लोकसभा के चुनाव होने हैं. सियासी जानकारों के अनुसार, चुनाव को देखते ही केंद्र सरकार द्वारा सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का यह कानून लागू किया गया है. ऐसे में गुजरात सरकार द्वारा इस कानून में अलग से शर्त लगाने का असर क्या होगा, इसको लेकर अगले कुछ दिनों में सियासी माहौल गर्मा सकता है.