इससे पहले साल 2010 में 20 जुलाई के दिन गुजरात हाईकोर्ट के बाहर अमित जेठवा की हत्या कर दी गई थी. अमित जेठवा ने आरटीआई के जरिये सूचनाएं इकट्ठा करके गिर के जंगलों में अवैध खनन का मामला उजागर किया था. साथ ही अवैध खनन के तार दीनू सोलंकी के साथ भी जुड़े थे.

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के मामले की शुरुआती जांच अहमदबाद डिटेक्शन क्राइम ब्रांच (डीसीबी) ने की थी. जांच के बाद डीसीबी ने इस मामले में दीनू सोलंकी को क्लीनचिट देते हुए छह लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. तब अमित जेठवा के पिता भीकाभाई जेठवा ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी. फिर हाईकोर्ट ने मामला सुनने के बाद उसकी जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिए थे. सीबीआई ने अपनी जांच में दीनू सोलंकी को भी आरोपित बनाया था.