नागरिकता (संशोधन) बिल लोकसभा में पास हो गया है. संसद में सत्ताधारी बीजेपी के सहयोगी और विरोधी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया. बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सदस्य सदन से बाहर चले गए थे. बिल के चलते उत्तर पूर्व के कई राज्यों जैसे असम में काफी विवाद है. असम में बीजेपी सरकार से उसकी सहयोगी असम गण परिषद(अगप) ने नाता तोड़ लिया था.
इससे पहले बिल को भाजपा ने जहां पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से विस्थापन की पीड़ा झेल रहे हिन्दू, ईसाई, बौद्ध, पारसी, जैन एवं सिख अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की दिशा में अहम कदम बताया, वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि विधेयक में कमियां हैं और यह बांटने वाली प्रकृति का है.
संसद की संयुक्त समिति द्वारा यथाप्रतिवेदित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर लोकसभा में चर्चा शुरू होने पर सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इसमें कई कमियां हैं. इसे विचार के लिये सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक मामला है और इस पर और पड़ताल की जरूरत है. यह असम समझौते की भावना के अनुरूप नहीं है
इसके बाद अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस की सुष्मिता देव का नाम चर्चा में हिस्सा लेने के लिये पुकारा. इस दौरान विधेयक को पेश किये जाने के विरोध में कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया. तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि यह बांटने की प्रकृति वाला विधेयक है. इससे असम में अशांति फैल रही है. दिल्ली में गृह मंत्री को पता नहीं है लेकिन वह इस बारे में बताना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लेकर संसद की समिति में विचार किया गया लेकिन आम सहमति बनाने का प्रयास नहीं किया गया. इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिन्दू, बौद्ध, जैन, पारसी, सिख और ईसाई धर्म के लोगों का उल्लेख किया गया है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान से कम संख्या में अल्पसंख्यक आए है, इन दोनों देशों से आए लोगों को नागरिकता दें तो कोई परेशानी नहीं है. लेकिन बांग्लादेश को इससे हटा दिया जाए. विधेयक का स्वरूप धर्मनिरपेक्ष बनाया जाए.
केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के एसएस अहलूवालिया ने कहा कि बांग्लादेश, पश्चिमी पाकिस्तान से जो अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं, उन देशों के अल्पसंख्यकों के लिये यह विधेयक लाया गया है. बीजद के बी महताब ने विधेयक के दायरे से बांग्लादेश को हटाये जाने की मांग करते हुए कहा कि जब श्रीलंका को इसमें शामिल नहीं किया गया है तो बांग्लादेश को क्यों शामिल किया गया है जहां से पूर्वोत्तर क्षेत्र में अवैध घुसपैठ में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है.
बीजद नेता ने यह भी कहा कि पाकिस्तान समेत अन्य देशों के अल्पसंख्यक हिंदू भारत में नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे? शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने के बाद इस समस्या का समाधान निकलना चाहिए.