घरेलू बाजार में सस्ता हुआ काजू, किमतें 20 फीसदी लुढ़की

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कोच्चि: भारतीय काजू उद्योग को दोहरी मांग का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ निर्यात मांग घटी है तो दूसरी तरफ घरेलू बाजार में कीमतें गिरी हैं. देश से काजू का निर्यात 2018-19 में दो दशक के निचले स्तर पर आ गया. साल दर साल काजू की कीमतें करीब 20 फीसदी लुढ़की हैं.

2018-19 में काजू का निर्यात 66,693 टन रहा. मूल्य के लिहाज से इस दौरान 4,434 करोड़ रुपये के काजू का निर्यात किया गया. यह एक साल पहले के मुकाबले 24 फीसदी कम है. काजू एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (CEPCI) से यह जानकारी मिली है.

काजू का निर्यात घटने की सबसे बड़ी वजह यह है कि वियतनाम और अन्य देशों में प्रसंस्करण लागत भारत के मुकाबले कम है. इसका फायदा इन देशों ने उठाया है. सीईपीसीआई के कार्यकारी निदेशक एस कन्नन ने कहा, “उत्पादन की हमारी लागत लगभग 800-900 रुपये प्रति किलोग्राम है. हम आमतौर पर निर्यात के लिए रियायती मूल्य की पेशकश करते हैं. कीमतों में कमी की भरपाई हम घरेलू बिक्री के जरिये करते हैं.” लेकिन पिछले साल देश में सस्ते काजू नट के ज्यादा आयात से घरेलू बिक्री प्रभावित हुई थी.

कन्नन ने कहा, “2,000 टन से अधिक का आयात हुआ है. इससे घरेलू बाजार में काजू के दाम गिरे हैं.” उन्होंने कहा कि कई व्यापारी भुना हुआ काजू के रूप में आयात कर रहे हैं, क्योंकि मुक्त व्यापार समझौते के तहत भुने काजू पर ड्यूटी नहीं लगती है. उन्होंने कहा कि हमने सीमा शुल्क और अन्य अधिकारियों को इस बारे में सतर्क कर दिया है कि जो काजू भारत में आ रहा है वह भुना नहीं सादा है.

उन्होंने कहा कि इससे आयात कम हो गया है, लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है. मंगलुरूर के Kalbavi Cashews के मैनेजिंग पार्टनर के प्रकाश राव का कहना है कि पिछले साल के 750 रुपये के मुकाबले घरेलू बाजार में कच्चा काजू 625 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है.