नई दिल्ली, 3 मार्च । भारत और उज्बेकिस्तान तेजी से चाबहार बंदरगाह के जरिए मध्य एशिया में संपर्क विकसित करने के लिए अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
पिछले हफ्ते, उजबेकिस्तान के विदेश मंत्री अब्दुलअजीज कामिलोव ने नई दिल्ली का दौरा किया था और द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी।
कामिलोव ने जयशंकर को इस साल जुलाई में ताशकंद में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपति श्वाकत मिर्जियोएव ने भारत-उजबेकिस्तान आभासी शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था।
अमेरिका में प्रशासन में बदलाव के मद्देनजर दो उच्च स्तरीय बैठकें महत्वपूर्ण हैं। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के विपरीत, जो मजबूती से इजरायल का समर्थक करने के साथ ही ईरान से अलग-थलग हो रहा था, वहीं अमेरिका में जो बाइडेन की हाल ही में चुनी गई सरकार तेहरान के साथ फिर से जुड़ने की इच्छुक है।
यह संभावना है कि बाइडेन अमेरिका-ईरान परमाणु समझौते को पुनर्जीवित कर सकते हैं, जिसे बराक ओबामा प्रशासन के तहत हस्ताक्षरित किया गया था, लेकिन उनके उत्तराधिकारी ट्रंप द्वारा निरस्त कर दिया गया था।
उज्बेकिस्तान चाबहार बंदरगाह में रुचि रखता है, जिसे ईरान में विकसित करने में भारत भी सहयोग कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में बाइडेन के चुने जाने के तुरंत बाद उज्बेकिस्तान, भारत और ईरान ने बंदरगाह के संयुक्त उपयोग के लिए अपनी पहली त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की।
मध्य एशिया की लगभग आधी आबादी उज्बेकिस्तान से आती है और यह एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जिसने राष्ट्रपति श्वाकत मिर्जियोएव के आर्थिक सुधारों के तहत गति पकड़ी है। इस देश ने निवेश की भारी मांग पैदा की है। समुद्र से कनेक्टिविटी की कमी के कारण तेल और गैस-समृद्ध मध्य एशिया मुख्य रूप से चीन के बाजार पर निर्भर है।
कोरोनावायरस महामारी और इसके बाद विश्व भर में लगाया गया लॉकडाउन दुनिया भर में एक एहसास के तौर पर देखा गया है कि आवश्यक और निर्मित सामानों के लिए चीन पर निर्भरता गंभीर खतरों से भरी है। इसके परिणामस्वरूप, राष्ट्रपति श्वाकत मिर्जियोएव चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भारत सहित विभिन्न बाजारों में निर्यात करने के इच्छुक हैं।
भारत के लिए ऐतिहासिक रूप से शत्रु रहा पाकिस्तान, मध्य एशिया में भूमि मार्ग के माध्यम से तेल और गैस संसाधनों का उपयोग करने के लिए एक कठिन ब्लॉक रहा है। इस नाकाबंदी के बीच, चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई), जो मध्य एशिया से होकर गुजरती है, और अधिक आर्थिक प्रतिस्पर्धा पैदा करती है।
दोतरफा चुनौती से उबरने के लिए, नई दिल्ली ने चाबहार बंदरगाह में 50 करोड़ डॉलर का निवेश किया है, जो पाकिस्तान की जमीन का उपयोग किए बिना भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जोड़ता है। चाबहार में भारत का बजटीय आवंटन 2020-21 में इससे पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना हो गया है।
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