चीफ़ जस्टिस गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप, कहा- न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में

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नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर एक विशेष पीठ का गठन शनिवार को किया गया। पीठ का गठन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बाद किया गया था, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी के सामने उल्लेख किया था कि गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप हैं। शनिवार सुबह 10.30 बजे विशेष सुनवाई होने वाली थी। सुप्रीम कोर्ट के महासचिव संजीव सुधाकर कलगाँवकर ने कहा कि संबंधित महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप गलत हैं और इसका कोई आधार नहीं है।

“इसमें कोई संदेह नहीं है, यह एक दुर्भावनापूर्ण आरोप है और उन्होंने कहा कि इस पर सुनवाई अभी होने वाली है,” उन्होंने कहा, यह पुष्टि करते हुए कि महिला द्वारा एक पत्र कई बैठे न्यायाधीशों द्वारा प्राप्त किया गया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर एक महिला द्वारा लगाये गये यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है। ऑनलाइन मीडिया में एक महिला द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़न के संबंध में लगाये गये आरोपों से जुड़ी खबरों के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष सुनवाई में जस्टिस गोगोई ने तमाम आरोपों को खारिज किया। जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और न्यायपालिक को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है।’


चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने इस पर फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया है और मीडिया को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए संयम दिखाने को कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा, मेरे 20 साल तक एक जज के तौर पर काम करने के बाद मेरे पास 6.80 लाख बैंक बैलेंस हैं। यह अविश्वसनीय है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता ‘बहुत बहुत खतरे’ में हैं।’


रजिस्ट्री इस नोटिस के साथ आई थी कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर “महान सार्वजनिक महत्व के मामले” से निपटने के लिए विशेष पीठ का गठन किया गया है। गोगोई और जस्टिस अरुण मिश्रा और संजीव खन्ना की विशेष पीठ ने सुबह 10.30 बजे बैठक की।