छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल बोले – नहीं करूंगा एनआरसी रजिस्टर पर साइन

,

   

 छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने एनआरसी का विरोध करते हुए कहा है कि हम महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलेंगे और मैं एनआरसी रजिस्टर हस्ताक्षर नहीं करूंगा.

 

भूपेश बघेल ने साफ कहा है कि वे इस कानून को छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में करीब दो करोड़ लोग हैं और करीब आधे ऐसे हैं जिनके पास लैंड रिकॉर्ड नहीं हैं. ऐसे लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे. अगर कोई अवैध नागरिक रह रहा है तो सरकारी एजेंसियों को उसे पकड़ना चाहिए.

बघेल ने कहा कि जहां एक ओर हम गांधी की 150 जयंती मना रहे हैं, ऐसे में मैं उनके रास्ते पर चलूंगा और एनआरसी रजिस्टर पर साइन नहीं करूंगा. मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा. मैं पहला व्यक्ति होऊंगा जो एनआरसी रजिस्टर से इंकार करूंगा.

 

जानिए NRC पर क्या है किस राज्य का स्टैंड

 

आपको बता दें कि केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल ने खुले तौर पर कैब को लागू करने से इंकार कर दिया है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि ये विधेयक भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ है और इसी कारण उनकी सरकार इस बिल को पंजाब राज्य में लागू नहीं करेगी.

 

केरल के सीएम पिनरई विजयन ने भी इस पर अपना रुख साफ करते हुए ट्वीट किया कि उनका राज्य इसे नहीं अपनाएगा. उन्होंने कहा कि कैब भारत के सेकुलर और लोकतांत्रिक चरित्र पर हमला है. धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान की अवमानना है. ये हमारे देश को पीछे धकेलेगा.

 

इनके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस बिल के खिलाफ हैं और कह चुकी हैं कि कैब को वहां लागू नहीं किया जाएगा. महाराष्ट्र में मंत्री बाला साहेब थोराट और एमपी के सीएम कमलनाथ ने भी इशारों में कहा कि कैब को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा.

 

वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार बिल का विरोध तो कर रही है लेकिन ये साफ नहीं किया है कि राजस्थान में बिल को लागू किया जाएगा या नहीं.

 

कितना विरोध कर सकते हैं राज्य

 

जानकारी के मुताबिक नागरिकता के लिए जिलाधिकारी को अर्जी दी जाती है जो अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में 90 दिन का अधिकतम वक्त लग सकता है. अगर राज्य सरकार अर्जी को आगे नहीं भेजती तो याचिकाकर्ता सीधे केंद्र सरकार के पास पहुंच सकता है. अब ऐसे में देखना ये होगा कि राज्य सरकारें कैब का कितना विरोध कर पाएंगी.