अतीक अहमद से मिलने के बाद करीब हर आदमी यही कहता है कि उनसे आंखें मिला पाना संभव नहीं है। माफिया से नेता बने अतीक अहमद की सुरक्षा में पिछले साल बरेली जेल में तैनात रहे एक पुलिसकर्मी का कहना है, “वे डरावनी हैं। उनमें हर वक्त खून उतरा हुआ नजर आता है, और वह आपको इस तरह घूरते हैं कि आपकी आंखें नीची हो जाती हैं।”
करीब पांच फीट छह इंच लंबे अतीक अहमद के सिर पर हमेशा एक टोपी या पगड़ी रहती है और उनका वजन भी बढ़ता गया है। इस आदमी का ऐसा खौफ है कि जब उन्हें देवरिया जेल से बरेली के जेल में स्थानांतरित किया जा रहा था तब पुलिसकर्मियों ने कहा था कि उनकी नजरें परेशान करने वाली है। जेल अधीक्षक ने संदेश भेजकर गुहार लगाई कि इस शख्स को कहीं और भेजा जाए। यही नहीं जो लोग जेल की सुरक्षा में लगे थे, उनकी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात किया गया।
मोहित जायसवाल नाम के एक कारोबारी के अपहरण के आरोपों पर अतीक अहमद को बरेली जेल भेजा गया। जायसवाल का आरोप है कि माफिया के गुर्गे उनको अगवा कर देवरिया जेल ले गए और अतीक अहमद के सामने उनकी पिटाई की गई। इस दौरान जिला अधिकारी भी वहां मूक दर्शक बने हुए थे। जायसवाल का कहना है कि उनसे ऐसे कागजाद पर दस्तखत कराए गए जिससे उनकी कुछ कंपनियां अतीक अहमद के नाम हो गईं। यह घटना 26 दिसंबर 2018 में हुई थी।
उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने बीते 19 अप्रैल को चुनाव आयोग की इजाजत से अतीक अहमद को नैनी जेल भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद अतीक अहमद को गुजरात की जेल भेज दिया जाए ताकि वह यूपी में अपना जबरन वसूली का धंधा न चला सके।
अतीक और भाई पर 150 मुकदमे
अतीक अहमद 1989 में माफिया से नेता बन गए। साल 2004 तक वे छह बार चुनाव जीते। इसमें पांच बार वह इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक और एक बार फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे। अतीक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी लेकिन बाद में वे समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए। इसके बाद वह अपना दल चले गए।
इन सबके बीच अतीक का नाम साल 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या में आ गया। राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को चुनाव में हराया था जिससे वे नाराज हो गए। पाल की विधवा ने अतीक अहमद और अशरफ के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी।
अतीक जेल में मोबाइल इस्तेमाल करता था
साल 2018 के फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में पर्चा दाखिल करने के बाद पुलिस ने अतीक की बैरक पर छापा मारा था और मोबाइल फोन जब्त किया था।
बरेली के डीएम वीके सिंह का कहना हैं, “अपराधी जब नेता बनते हैं तो सम्मानीय बनने की कोशिश करते हैं। लेकिन अतीक के साथ ऐसा नहीं है। कई साल तक विधायक और सांसद रहने के बाद भी अतीक ने अपराध नहीं छोड़ा।”
वे कहते हैं, “यदि उन्हें कुछ महीने और यहां बंद रखा गया तो माहौल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। जल्द ही उनके गुर्गे शहर में घुस आएंगे और इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस जगह को जबरन वसूली का नया अड्डा बना देंगे।”
पुलिस के मुताबिक इस तरह के संकेत पहले से वहां मौजूद हैं। अहमद के बरेली भेजे जाने के बाद देवरिया में पुलिस ने चार अपराधियों को पकड़ा जो अतीक के गुर्गें होने का दावा कर स्थानीय व्यापारियों से वसूली की कोशिश कर रहे थे। बाद में पता वे छोटे ठग थे।